नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून और NRC पर जारी बवाल के बीच मोदी कैबिनेट ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने 2021 की जनगणना और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. 2021 की जनगणना 1 अप्रैल 2020 से शुरू हो सकती है. NPR तैयार करने का फैसला पहली बार 2010 में हुआ था. 10 साल बाद फिर अपडेट हो रहा है. मिली जानकारी के अनुसार एनपीआर के लिए प्रत्येक व्यक्ति के बारे में 15 जानकारियां जुटाई जाएंगी. जिसमें व्यक्ति के नाम, माता पिता, लिंग, जन्म स्थान, माता- पिता का जन्म स्थान आदि शामिल हैं. इस बार पिछली बार की तुलना में जानकारियां कुछ व्यापक जानकारी मांगी जा सकती हैं.
NPR में भारत के निवासियों से 15 जानकारी मांगी जाएगी जिसके आधार पर जनगणना के डाटाबेस को अपडेट किया जाएगा. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) के तहत एक अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है. दरअसल अगर कोई शख्स देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है. एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है.
बता दें कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है.
जानें क्या NPR
एनपीआर के उद्देश्य से सामान्य निवासी को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से निवास कर रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है. एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी. एनपीआर और एनआरसी में अंतर है. एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है.