नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 58 मंत्रियों पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा. मोदी सरकार के कैबिनेट (Cabinet Minister) में शामिल पूर्व विदेश (Foreign secretary) सचिव एस. जयशंकर को भी जगह मिली. एस जयशंकर ने सीधे कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. एस. जयशंकर ने चीन के साथ जब डोकलाम विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी.
पीएम मोदी और जयशंकर की मुलकात पहली बार 2012 में हुआ था, जब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चीन के दौरे पर थे. फिर दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुईं कि जयशंकर मोदी के खास हो गए. अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि थे. देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे. इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुयी थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.
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जानें कौन हैं एस. जयशंकर
जयशंकर 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं. सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक जयशंकर ने राजनीति विज्ञान में एमए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की उपाधि हासिल की है. जयशंकर की शादी क्योको जयशंकर से हुई है और उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं.
जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं. 64- वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे. जयशंकर को 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.