PM मोदी हफ्ते में 100 घंटे काम कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? नारायण मूर्ति बोले- तरक्की के लिए मेहनत जरूरी

नारायण मूर्ति ने प्रधानमंत्री मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वह हफ्ते में 100 घंटे काम कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश की तरक्की के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण जरूरी है. मूर्ति ने कहा कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए हमें मेहनत का कोई विकल्प नहीं है.

नई दिल्ली: इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने शुक्रवार को एक बार फिर से सख्त कार्य संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए लोगों से यह अपील की कि वे अधिक मेहनत करें और देश के विकास में योगदान दें. मूर्ति ने कहा कि पीएम मोदी, उनके मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी सप्ताह में 100 घंटे काम कर रहे हैं, अगर वे इतनी मेहनत कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?

मूर्ति ने सीएनबीसी ग्लोबल लीडरशिप समिट में कहा कि कठिन मेहनत ही देश को आगे बढ़ा सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने पुराने बयान पर कायम हैं, जिसमें उन्होंने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की बात कही थी. मूर्ति ने कहा, "मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता. चाहे आप कितने भी बुद्धिमान क्यों न हों, मेहनत करनी ही होगी." उनका मानना है कि यदि भारत को तरक्की करनी है तो आराम नहीं, बल्कि त्याग करना होगा.

मूर्ति ने यह भी उल्लेख किया कि जब भारत में 1986 में छह दिन का वर्किंग वीक बदलकर पांच दिन का हो गया, तो उन्हें यह बदलाव दुखदायी लगा था. उन्होंने जर्मनी और जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद इन देशों ने कड़ी मेहनत की और अपने देश को फिर से समृद्ध किया. मूर्ति ने भारत के लोगों से इन देशों से प्रेरणा लेने की सलाह दी.

नारायण मूर्ति ने सरकारी सेवाओं के चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों का चयन अब केवल यूपीएससी परीक्षा से नहीं, बल्कि बिजनेस स्कूलों से भी किया जाना चाहिए. उनके मुताबिक, सिविल सर्विसेज के लिए प्रबंधन संस्थानों से अधिकारियों का चयन विचारणीय हो सकता है.

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