मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: SC का बिहार सरकार को आदेश, परिवार को सौंपी जाएं 8 पीड़ित लड़कियां

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित 44 लड़कियों में से 8 पीड़ित लड़कियों को उनके माता-पिता को सौंपने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credit- IANS)

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले (Muzaffarpur Shelter Home Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पीड़ित 44 लड़कियों में से 8 पीड़ित लड़कियों को उनके माता-पिता को सौंपने का आदेश दिया है. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज यानी TISS के फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट कोशिश के बाद अदालत का सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. TISS ने सुप्रीम कोर्ट में 20 पीड़ित लड़कियों के पुनर्वास को लेकर अपनी रिपोर्ट दाखिल की है. जिसमें बताया गया है कि 8 पीड़ित लड़कियों को उनके घर भेजा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को लड़कियों को उनके घर छोड़ने का आदेश दिया है.

इससे पहले TISS की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 40 लड़कियों को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से अन्य सरकारी केंद्रों पर ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि पीड़ित लड़कियों के पुनर्वास के लिए प्लान तैयार किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सभी लड़कियों के लिए अलग-अलग पुनर्वास प्लान तैयार करने के लिए कहा था. जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने सीबीआई को तीन महीने में जांच पूरा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि इस मामले में आरोपियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा.

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सप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दिया आदेश- 

बता दें कि इस मामले के कथित मास्टरमाइंड और रसूखदार व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर पर पॉक्सो कानून के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस अपराध के लिए कम से कम 10 साल की कैद और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है. सभी 20 आरोपियों पर किशोरियों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए हैं.

अदालत बलात्कार, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, किशोरियों को नशीला पदार्थ देने, आपराधिक भयादोहन के आरोपों पर सुनवाई करेगी. मुख्य आरोपी ठाकुर और उसके बालिका गृह के कर्मचारियों व बिहार समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों पर आपराधिक साजिश रचने, कर्तव्य नहीं निभाने, लड़कियों के यौन उत्पीड़न को रिपोर्ट करने में नाकाम रहने के आरोप तय किए गए हैं. उनके खिलाफ अपने प्राधिकार में मौजूद बच्चियों पर निर्ममता बरतने के आरोप भी शामिल हैं.

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