मुंबई: ऑनलाइन फ्रॉड के मामले आज के समय में सामने आते रहते हैं. ताजा मामला मुंबई का है. यहां एक 26 वर्षीय व्यक्ति को साइबर जालसाजों ने 3 लाख का चूना लगाया. एक महिला सहित तीन साइबर जालसाजों ने व्यक्ति को बताया कि उसके दस्तावेजों का एक अपराधी द्वारा अपराध करने के लिए दुरुपयोग किया गया है और अब उसे मामला दर्ज करने के लिए पैसे देने होंगे. व्यक्ति को यकीन दिलाने के लिए साइबर जालसाजों ने पुलिस की वर्दी पहन कर व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया और खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया. Online Fraud in Ahmedabad: क्रेडिट कार्ड एक्टिव करने की कोशिश में व्यक्ति को लगा 50,000 रुपये का चूना; मामला दर्ज.
व्यक्ति बोरीवली में एक फार्मा कंपनी में काम करता है. इस संबंध में बोरीवली पुलिस ने 13 अप्रैल को FIR दर्ज की थी. उस व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि 7 अप्रैल को उसे स्वाति पाटिल नाम की एक महिला का फोन आया, जिसने कहा कि वह दिल्ली के पासपोर्ट कार्यालय से कॉल कर रही है. “उसने मुझसे कहा कि वह मेरे विवरण की जांच कर रही है और मुझे अपना आधार कार्ड दिखाने के लिए कहा. उसने मेरा नाम, जन्मतिथि और आधार कार्ड नंबर सही ढंग से पढ़ा. फिर उसने एक पासपोर्ट नंबर पढ़ा लेकिन मैंने उससे कहा कि मेरे पास कोई पासपोर्ट नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, महिला ने शिकायतकर्ता को बताया कि वह 30 मार्च को थाईलैंड गया था और उसने कुछ अवैध काम किया था और इसकी शिकायत पासपोर्ट कार्यालय को मिली है. व्यक्ति ने महिला को बताया कि मेरे पास पासपोर्ट नहीं है. मैं विदेश कैसे जाऊंगा? मैं महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा कभी किसी राज्य में नहीं गया. फिर उसने मुझसे कहा कि मैं निर्दोष हूं और किसी ने नया पासपोर्ट बनाने के लिए मेरे दस्तावेजों का दुरुपयोग किया है.
FIR के अनुसार महिला ने उससे कहा कि उसे एक पत्र लिखकर दिल्ली क्राइम ब्रांच को पोस्ट करना होगा. फिर एक अन्य व्यक्ति लाइन पर आया, उसने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी सुनील कुमार नाइक बताया. शिकायतकर्ता ने बताया कि अमिने उससे भी कहा कि मैं निर्दोष हूं. इसके बाद नाइक ने एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया.
मैंने फोन उठाया और देखा कि वह पुलिस की वर्दी में था. उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है. उसने मुझे एक वेब लिंक भेजा और मुझसे मेरा आधार नंबर दर्ज करके यह जांचने के लिए कहा कि मेरे खिलाफ कौन सा मामला दर्ज है. मैंने लिंक पर क्लिक किया और अपना नंबर दर्ज किया और एक पेज खुला, जिसमें दिखाया गया कि मेरे खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स और मानव तस्करी के लिए गिरफ्तारी वारंट था."
पैसे देने के बाद उसे व्हाट्सएप पर उसे क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भेजा गया. आदमी ने 48 घंटे तक इंतजार किया लेकिन रिफंड नहीं मिला. उसने नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की लेकिन किसी ने नहीं उठाया. उसने महसूस किया कि वह ठगा गया है और पुलिस से संपर्क किया.