धोनी ग्लव्स विवाद: जानिए क्या होता है 'बलिदान बैज' और किसके पास है इसके इस्तेमाल का अधिकार

बता दें कि बलिदान बैज' वाले चिह्न् का इस्तेमाल सिर्फ पैरा कमांडो वालों को ही करने की अनुमति मिली हुई है. यह पहली बार नहीं है जब धोनी ने मैदान के अंदर सुरक्षा बलों के प्रति अपना सम्मान दिखाया है. उन्होंने इससे पहले मार्च में आस्ट्रेलिया के साथ हुए वनडे मैच के दौरान भी आर्मी वाली कैप पहनकर विकेटकीपिंग की थी.

यह कोई आम बैज नहीं होता ( फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो )

नई दिल्ली: साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मैच में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ( (MS Dhoni) ) द्वारा अपने दस्तानों पर 'बलिदान बैज' लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इंडियन आर्मी धोनी के ग्लव्स पर लगे इस निशान को बलिदान बैज (Balidaan Badge) नहीं मानती. लेकिन उसके बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक तरफ आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से यह निशान हटाने को कहा था. वहीं बीसीसीआई और आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने धोनी का समर्थन किया. बीसीसीआई के सीओए विनोद राय ने कहा कि बोर्ड ने इस बारे में आईसीसी को पत्र लिखा है.

बता दें कि बलिदान बैज' वाले चिह्न् का इस्तेमाल सिर्फ पैरा कमांडो वालों को ही करने की अनुमति मिली हुई है. यह पहली बार नहीं है जब धोनी ने मैदान के अंदर सुरक्षा बलों के प्रति अपना सम्मान दिखाया है. उन्होंने इससे पहले मार्च में आस्ट्रेलिया के साथ हुए वनडे मैच के दौरान भी आर्मी वाली कैप पहनकर विकेटकीपिंग की थी.

धोनी को 2011 में सेना ने मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक से सम्मानित किया था. धोनी ने तीन अप्रैल 2018 को लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी में राष्ट्रपति भवन में पद्म भूषण अवॉर्ड प्राप्त किया था.

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क्या है बलिदान चिन्ह

बलिदान' विशेष बलों का एक विशिष्ट प्रतीक है, जो पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा है. केवल पैरामिलिट्री कमांडो (Indian Para Special Forces) को ही बलिदान बैज पहनने की अनुमति है. इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है. यह बैज चांदी से बना होता है. बैज के दोनों तरफ विंग्स और बीच में खंजर होता है. पैरा स्पेशल फोर्स को पैरा एसएफ भी कहा जाता है.

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