7 महीने बाद आया फैसला, 4 साल की बच्ची से किया था रेप, 2 मार्च को दोषी को होगी फांसी
आरोपी शिक्षक ने 30 जून 2018 की रात को बच्ची को अगवा कर के जंगल में ले गया. जिसके बाद वहां उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना काम किया. उसके बाद आरोपी महेंद्र सिंह को लगा कि बच्ची मर चूकी है और यह सोच कर उसने उसे छोड़ दिया. बच्ची के परिवार वालों ने उसे देर रात सीरियस कंडिशन में पाया और अस्पताल ले गए
मध्यप्रदेश में 4 साल की एक बच्ची से रेप के एक आरोपी को सतना की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 28 वर्षीय सरकारी अतिथि शिक्षक महेंद्र सिंह गोंड का फांसी वारंट जारी कर दिया है. यह वारंट जबलपुर केन्द्रीय जेल को भेजा गया है और 2 मार्च को इस शिक्षक को फांसी पर लटकाने की तिथि तय की गई है. रेप की यह घटना इतनी बर्बरतापूर्ण थी. जिसके बाद का कई महीनों तक एम्स अस्पताल में इलाज करना पड़ा था. वहीं अधिकारियों की माने तो अगर सुप्रीम कोर्ट इस सजा पर रोक नहीं लगाता है तो तय की गई तारीख पर दोषी टीचर को फांसी दे दी जाएगी.
बता दें कि बलात्कार के दोषी पाये गये महेन्द्र सिंह गोंड को फांसी पर लटकाने का वारंट सुनवाई अदालत से ई-मेल के जरिये जबलपुर केन्द्रीय जेल को मिला है. वारंट के अनुसार 2 मार्च 2019 की तारीख उसे फांसी पर लटकाने के लिए तय की गई है. गोंड खुद को सुनाई गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं, जिसकी प्रक्रिया भी जारी है.
यह है पूरा मामला
आरोपी शिक्षक ने 30 जून 2018 की रात को बच्ची को अगवा कर के जंगल में ले गया. जिसके बाद वहां उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना काम किया. उसके बाद आरोपी महेंद्र सिंह को लगा कि बच्ची मर चूकी है और यह सोच कर उसने उसे छोड़ दिया. बच्ची के परिवार वालों ने उसे देर रात सीरियस कंडिशन में पाया और अस्पताल ले गए. जिसके बाद मामला तूल पकड़ने लगा और सूबे की सरकार ने बच्ची को एयरलिफ्ट कर दिल्ली के एम्स भेजा.
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गौरतलब हो कि सतना जिले की नागौद अदालत के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने चार वर्षीय बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के मामले में महेंद्र सिंह गोंड को दोषी करार देते हुए 19 सितंबर को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को बरकरार रखा. शर्मा की अदालत ने शिक्षक के इस अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी वाला माना था और उसे भादंवि की धारा 376 (क, ख) तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.