MP: खतरे में बच्चों की जिंदगी! मध्य प्रदेश में चिकित्सा सुविधा पर टोना-टोटका हावी
भले ही देश और दुनिया में चिकित्सा जगत में उपचार के आधुनिकतम तरीके ईजाद कर लिए गए हों, मगर मध्य प्रदेश में अब भी उपचार के लिए टोना-टोटकों का सहारा लिया जा रहा है.
भोपाल, 23 नवंबर : भले ही देश और दुनिया में चिकित्सा जगत में उपचार के आधुनिकतम तरीके ईजाद कर लिए गए हों, मगर मध्य प्रदेश में अब भी उपचार के लिए टोना-टोटकों का सहारा लिया जा रहा है. बीते एक सप्ताह के दौरान कई स्थानों से मरीज और खासकर निमोनिया पीड़ित बच्चों के उपचार के लिए टोना-टोटका का सहारा लिया गया. बच्चों की सेहत नहीं सुधरी बल्कि उनकी जिंदगी ही खतरे में पड़ गई.
ताजा मामला उज्जैन जिले की महीदपुर तहसील के किशनखेड़ी गांव का है, जहां डेढ़ माह के बच्चे को निमोनिया था, परिजनों ने बच्चे को अस्पताल ले जाने की बजाय झाड़फूंक करने वाले को बुलाया. बच्चे को सरिया से दागा गया, जब तबियत बिगड़ी तो उसे उज्जैन अस्पताल लाया गया, जहां उसका उपचार जारी है. परिजन बच्चे के शरीर पर पडे़ छालों की वजह दूसरे बच्चे द्वारा जला देना बता रहे हैं. यह भी पढ़ें : महुआ के निष्कासन की सिफारिश पर ममता ने कहा, 2024 के चुनाव से पहले उन्हें मदद मिलेगी
इससे पहले एक मामला शहडोल जिले का सामने आया था, जहां हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था, निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया था, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए. बच्चे को मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया.
जानकारों की मानें तो राज्य में ठंड शुरु होने के साथ बच्चों में निमोनिया की शिकायतें बढ़ती है, जिसके चलते ग्रामीण इलाकों के निवासी चिकित्सकों के पास जाने की बजाय अपने आसपास के क्षेत्रों के ओझा से उपचार कराते हैं और ये ओझा बच्चों को दागने तक से नहीं हिचकते.