Monkeypox Case: एक और मंकी वायरस मानव के लिए हो सकता है घातक

पिछले साल 12 मई को लंदन में पहली पुष्टि के बाद से दुनिया भर में मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए हैं. गौरतलब है कि महामारी विज्ञान इसकी तुलना तीन हजार साल से दुनिया में असितत्व में चेचक से कर रहा है.

मंकीपॉक्स (Photo Credits: PNBS)

नई दिल्ली, 18 दिसम्बर : पिछले साल 12 मई को लंदन में पहली पुष्टि के बाद से दुनिया भर में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के कई मामले सामने आए हैं. गौरतलब है कि महामारी विज्ञान इसकी तुलना तीन हजार साल से दुनिया में असितत्व में चेचक से कर रहा है. यह एक गंभीर संक्रामक रोग है. शोधकर्ताओं के मुताबिक वर्तमान प्रकोप की कुछ विशेषताएं पिछले मंकीपॉक्स के प्रकोप से भिन्न हैं. चेचक या इन्फ्लूएंजा के समान एक और वैश्विक महामारी का सामने आने चिंता का कारण हो सकता है.

इस साल मई से मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से फैला और यूरोप, अमेरिका, ओशिनिया, एशिया और अफ्रीका के कई देशों में 20 हजार से अधिक मामले सामने आए. जैव सुरक्षा और स्वास्थ्य में प्रकाशित पेपर के अनुसार, नए वायरस के संबंध में और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है. हालांकि इसकी विशेषता त्वरित विकास, नए-उभरते वेरिएंट, निकट संपर्क के माध्यम से संचरण, कई देशों में पुष्ट मामलों का तेजी से विस्तार आदि हैं. यह भी पढ़ें : COVID-19: वायरस को रोकने के लिए टीकाकरण समेत आईडीएसपी को बढ़ावा देने की जरुरत

वैश्विक विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स के पर्याय के रूप में एक नया पसंदीदा शब्द ेएमपॉक्स दिया है. दोनों नामों का एक साथ एक वर्ष के लिए उपयोग किया जाएगा और मंकीपॉक्स चरणबद्ध रूप से समाप्त हो जाएगा. ऑनलाइन प्रकाशित कोलोराडो बोल्डर शोध के नए जर्नल सेल के मुताबिक इस वायरस का एक अस्पष्ट परिवार पहले से ही जंगली अफ्रीकी प्राइमेट्स में बसा है और कुछ बंदरों में घातक इबोला जैसे लक्षण पैदा करने के लिए जाना जाता है.

इस तरह के विषाणुओं को पहले से ही मकाक बंदरों के लिए एक गंभीर खतरा माना जाता है, हालांकि अब तक इसके मानव संक्रमण की सूचना नहीं है. और इस वायरस का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तय नहीं है. उन्होंने कहा हालांकि जानवरों और मनुष्यों दोनों में अब धमनीविषाणुओं का अध्ययन कर वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय संभावित रूप से एक और महामारी से बच सकता है. प्रोफेसर व वरिष्ठ लेखक सारा सॉयर ने कहा, इस पशु वायरस ने यह पता लगाया है कि मानव कोशिकाओं तक कैसे पहुंच प्राप्त करें, खुद को कैसे बढ़ाएं. कुछ महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा तंत्रों से बचने के लिए हम इस पशु वायरस से बचाने की उम्मीद करेंगे. हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.

दुनिया भर में जानवरों के बीच हजारों अनोखे वायरस घूम रहे हैं, जिनमें से अधिकांश में कोई लक्षण नहीं है. हाल के दशकों में इसकी बढ़ती हुई संख्या मनुष्यों तक पहुंच गई है. ये लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर कहर बरपे रहे हैं. इनसे लड़ने का मानव के पास कोई अनुभव नहीं है. इन वायरसों में सार्स, कोविड आदि शामिल हैं. ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) और इसके पूर्ववर्ती सिमियन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एसआईवी) की तरह सिमियन आर्टेरिवाइरस भी प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर हमला करते हैं और प्रतिरक्षा तंत्र को अक्षम बना देते हैं. शरीर में लंबे समय तक बने रहते हैं.

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में और कोई महामारी नहीं आएगी, लोगों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन वे सुझाव देते हैं कि वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को सिमीयन धमनीविषाणुओं के अध्ययन को प्राथमिकता देना चाहिए. सॉयर ने कहा, जानवरों से इंसानों तक फैलने की घटनाओं की एक लंबी कड़ी में कोविड नवीनतम है. इनमें से कुछ से वैश्विक तबाही आई है. हम आशा करते हैं कि वायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाकर हम इसका मुकाबला कर सकते हैं.

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