रांची, 13 जनवरी: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में अवैध पत्थर खनन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि धनशोधन एक "खुला" अपराध है. अदालत ने इसे "क्राइम थ्रिलर" की संज्ञा भी दी.
न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी की पीठ ने 10 जनवरी को पारित अपने आदेश में आरोपी प्रेम प्रकाश को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने अदालत में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा से संघीय एजेंसी ने पूछताछ की है, जबकि कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
यह मामला जुलाई, 2022 का है, जब ईडी ने मिश्रा और उनके कथित सहयोगियों पर झारखंड के साहिबगंज, बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बरहरवा में 19 स्थानों पर छापेमारी की थी.
ईडी ने प्रकाश को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं. ईडी ने उन्हें मिश्रा का सहयोगी बताया है और दोनों पर राज्य में अवैध पत्थर खनन के माध्यम से प्राप्त भारी नकदी धन के प्रबंधन का आरोप है.
आदेश में कहा गया है, "दोनों पक्षों की ओर से दी गई परस्पर विपरीत दलीलों पर विचार करने के बाद, इस अदालत का मानना है कि ईडी की ओर से दी गयी दलीलें जमानत याचिका खारिज करने के लिए ज्यादा सुसंगत प्रतीत होती हैं.’’
आदेश में कहा गया है, "याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील की दलीलों के विपरीत, धनशोधन का अपराध एक खुला अपराध है और यह आवश्यक नहीं है कि धनशोधन के अपराध के आरोपित अभियुक्त वही हों जिन्हें निर्दिष्ट अपराध में अभियुक्त बनाया गया हो."
अदालत ने कहा कि अभियोजन (ईडी) की कहानी "एक क्राइम थ्रिलर की याद दिलाती है, जहां सरकार निस्तेज हो जाती है और राजनीतिक संबंध रखने वाले अपराधियों का कूनबा राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के लिए संघर्ष कर रहा होता है".
अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रकाश की भूमिका सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि कुमार केजरीवाल नामक व्यक्ति और प्रकाश के एक कर्मचारी अनिल झा के बयान में दर्ज की गई है. इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता उससे जुड़े बैंक खातों में भारी मात्रा में आई नकदी के बारे में पूछे गए सवालों का "संतोषजनक" जवाब देने में विफल रहा.
अदालत ने कहा, "इस याचिकाकर्ता के नाम पर कंपनी के खाते में भारी मात्रा में नकद लेन-देन दिखाया गया है, जिसके बारे में कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है." अदालत के आदेश में कहा गया है कि चूंकि मामला "अब भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और याचिकाकर्ता (प्रकाश) को जमानत पर छोड़ना न्याय के हित में नहीं होगा, इसलिए जमानत की याचिका खारिज की जाती है."
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