मुंबई, 11 अप्रैल: मुंबई की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को कथित मनी-लॉन्ड्रिंग (धन शोधन निवारण अधिनियम) मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हसन मुश्रीफ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज दी है. एनसीपी (राकांपा) नेता और पूर्व मंत्री मुश्रीफ ने दायर याचिका में कहा था कि जांच के नाम पर और धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने के नाम पर उन्हें ईडी द्वारा गिरफ्तारी की आशंका है. यह भी पढ़ें: Maharashtra: पालघर में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, उसके 49 कर्मचारी गिरफ्तार किये गये
ईडी ने तर्क दिया है कि सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें मुश्रीफ के बेटे निदेशक या हितधारक थे, को समर्थन देने के लिए दो कंपनियों से कई करोड़ रुपये की आवाजाही बिना किसी ठोस कारोबार के हुई थी. मुश्रीफ ने अपनी जमानत याचिका में कहा कि यह पूरा मामला भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा शुरू किए गए एक राजनीतिक अभियान का परिणाम है.
हालांकि, ईडी ने इन दलीलों का खंडन किया और कहा कि वह कागल (कोल्हापुर) के विधायक और तत्कालीन महा विकास अघडी सरकार में पूर्व मंत्री मुश्रीफ के खिलाफ राजनीतिक कारणों से मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है. ईडी ने तर्क दिया कि मुश्रीफ दोष को दूसरों पर स्थानांतरित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इससे अपराध समाप्त नहीं होता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने मुश्रीफ की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से इसी तरह की राहत के लिए आवेदन किया था.