Waqf Board Amendment Bill: केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की कवायद शुरू कर दी है. इस कवायद के तहत केंद्र सरकार आज यानी सोमवार को वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है. इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर वक्फ बोर्ड अधिनियम में किसी भी प्रकार के संशोधन को अस्वीकार करते हुए विरोध जताया है.
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलियास (Spokesperson Dr. Syed Qasim Rasool Ilyas) ने कहा कि विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार वक्फ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधन के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करना और उन्हें हड़पना आसान हो जाए. जानकारी के अनुसार, इस प्रकार का विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है. यह भी पढ़े; वक्फ एक्ट में बड़े बदलाव करेगी मोदी सरकार, कल संसद में पेश हो सकता है बिल, जानें पूरी डिटेल
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना आवश्यक समझता है कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों के बुजुर्गों के दिए गए वे उपहार हैं, जिन्हें धार्मिक और चैरिटी के कामों के लिए उपयोग किया जाता है. सरकार ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए वक्फ एक्ट बनाया है। वक्फ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए भारत सरकार इस कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती, जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और हैसियत ही बदल जाए.
उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों से संबंधित जितने भी फैसले किए और कदम उठाए हैं, उनमें उनसे कुछ छीनने का ही काम हुआ है, दिया कुछ नहीं, चाहे वह मौलाना आजाद फाउंडेशन का बंद किया जाना हो, या अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप को रद्द करना, या फिर तीन तलाक से संबंधित कानून हो। यह मामला केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा। वक्फ संपत्तियों पर चोट करने के बाद आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की संपत्तियों का और फिर हिंदुओं के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों का भी आ सकता है.
बोर्ड ने स्पष्ट कहा कि वक्फ एक्ट में कोई भी ऐसा संशोधन स्वीकार्य नहीं होगा, जिसमें उसकी अहमियत को बदल दिया जाए. साथ ही वक्फ बोर्ड की कानूनी और न्यायिक अहमियत और अधिकारों में हस्तक्षेप भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
डॉ. इलियास ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के मुसलमानों, धार्मिक और राष्ट्रीय संगठनों से अपील करता है कि वो केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ एकजुट होकर आगे बढ़ें. बोर्ड भी इस कदम को नाकाम करने के लिए हर तरह के कानूनी और लोकतांत्रिक रास्ते अपनाएगा.