नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के लिये सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दे दी है. सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी (Minimum Support Prices) में इजाफा कर दिया है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की लाभकारी कीमत मिल सके. एमएसपी नीति का कृषि कानूनों से कोई लेना देना नहीं: सरकार
पिछले वर्ष के एमएसपी में मसूर की दाल और कैनोला (रेपसीड) तथा सरसों में उच्चतम संपूर्ण बढ़ोतरी (प्रत्येक के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल) करने की सिफारिश की गई है. इसके बाद चने (130 रुपये प्रति क्विंटल) को रखा गया है. पिछले वर्ष की तुलना में कुसुम के फूल का मूल्य 114 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है. कीमतों में यह अंतर इसलिए रखा गया है, ताकि भिन्न-भिन्न फसलें बोने के लिये प्रोत्साहन मिले.
आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2018-19 में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया कि देशभर के औसत उत्पादन को मद्देनजर रखते हुए एमएसपी में कम से कम डेढ़ गुना इजाफा किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को तर्कसंगत और उचित कीमत मिल सके. किसान खेती में जितना खर्च करता है, उसके आधार पर होने वाले लाभ का अधिकतम अनुमान किया गया है. इस संदर्भ में गेहूं, कैनोला व सरसों (प्रत्येक में 100 प्रतिशत) लाभ होने का अनुमान है. इसके अलावा दाल (79 प्रतिशत), चना (74 प्रतिशत), जौ (60 प्रतिशत), कुसुम के फूल (50 प्रतिशत) के उत्पादन में लाभ होने का अनुमान है.
Union cabinet increases MSP for rabi crops for marketing season 2022-23 pic.twitter.com/Q6JyNBSKm8
— ANI (@ANI) September 8, 2021
पिछले कुछ वर्षों से तिलहन, दलहन, मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में एकरूपता लाने के लिये संयुक्त रूप से प्रयास किए जाते रहे हैं, ताकि किसान इन फसलों की खेती अधिक रकबे में करने के लिए प्रोत्साहित हों. इसके लिए वे बेहतर प्रौद्योगिकी और खेती के तौर-तरीकों को अपनायें, ताकि मांग और आपूर्ति में संतुलन पैदा हो.
इसके साथ ही केंद्र द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) योजना को भी सरकार ने हाल में घोषित किया है. इस योजना से खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी. इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपये रखे गये हैं, जिससे न सिर्फ रकबा और इस सेक्टर की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि आय बढ़ने से किसानों को लाभ मिलेगा तथा अतिरिक्त रोजगार पैदा होंगे.
‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-एएएसएचए) नामक ‘अम्ब्रेला स्कीम’ की घोषणा सरकार ने 2018 में की थी। इस योजना से किसानों को अपने उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत मिलेगी. इस अम्ब्रेला स्कीम में तीन उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद व स्टॉकिस्ट योजना (पीपीएसएस) को प्रायोगिक आधार पर शामिल किया गया है.