Modi Cabinet Decision: मोदी कैबिनेट का फैसला, राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए 4,406 करोड़ के पैकेज को दी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास से संबंधित अहम फैसले को मंजूरी दी गई है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए 4,406 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा.
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास से संबंधित अहम फैसले को मंजूरी दी गई है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए 4,406 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए कहा, "पीएम मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है. सभी जानते हैं कि कुछ समय पहले तक बॉर्डर एरिया के गांवों को आखिरी विलेज कहा जाता था. मगर पीएम मोदी ने उसे फर्स्ट विलेज बनाया. इसी के मद्देनजर अधिकतर केंद्रीय मंत्री किसी न किसी वाइब्रेंट विलेज में गए, जिसे फर्स्ट विलेज का दर्जा दिया गया." यह भी पढ़ें : एमसीडी ने नियमों का उल्लंघन करने पर 84 कारखानों को बंद किया, सात इकाइयों की बिजली आपूर्ति काटी
उन्होंने कहा, "देश के फर्स्ट विलेज को वो जरूरी सुविधाएं मिलीं, जिसकी जरूरत हर एक क्षेत्र को होती है. चाहे वह सड़क हो या स्वास्थ्य या फिर पानी, शिक्षा या सुरक्षा जैसे मुद्दे. इसी के तहत वाइब्रेंट प्रोग्राम शुरू किया गया. हमने इसमें फोकस रखा रोड और टेलीकॉम कनेक्टिविटी पर, आज उसी कड़ी में कैबिनेट ने राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में 4,406 करोड़ रुपये के निवेश से 2,280 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी दी है."
अश्विनी वैष्णव ने कहा, "केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत राजस्थान तथा पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में 2280 किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क विकसित करने का निर्णय लिया है. इस योजना से सीमावर्ती क्षेत्र पर एक बड़ा इंपेक्ट पड़ेगा."
इसके अलावा अश्विनी वैष्णव ने बताया, "कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक मुफ्त फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति जारी रखने को मंजूरी दी. उम्मीद है कि इससे एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दूर होगी. इस पर 17,082 करोड़ रुपये खर्च होगा और इसे केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा."