नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) के नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) में तब्दील होने के बाद से ही देश के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन की खबरें लगातार मीडिया में सुर्खियां बटोर रही हैं. सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को संसद से हरी झंडी मिलने के अगले दिन ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) ने इसे चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अब इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) को पत्र लिखकर बताया है कि सीएबी की शुरुआत के बाद से पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
बुधवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता एमके मुनीर (MK Muneer) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू (HL Dattu) को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने जिक्र किया है कि नागरिकता संशोधन बिल की शुरुआत के बाद से ही पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां हो रहे विरोध प्रदर्शन के चलते स्थिति काफी गंभीर हो गई है.
देखें ट्वीट-
Indian Union Muslim League (IUML) leader MK Muneer writes to HL Dattu,Chairperson of National Human Rights Commission stating,"There have been protests across India since the introduction of #CitizenshipAmendmentBill. Situation in UP, where protests are being organised, is dire. pic.twitter.com/RXFOIQjUJa
— ANI (@ANI) January 1, 2020
बता दें कि संसद में कैब को हरी झंडी मिलने के बाद ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अवैध अप्रवासियों को नागरिकता देने के मामले में धार्मिक आधार पर एक वर्ग को उसके दायरे से बाहर रखना संविधान द्वारा प्राप्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है. यह भी पढ़ें: Bharat Bandh: नागरिकता कानून, एनआरसी और NPR के खिलाफ 7 दिनों तक प्रदर्शन करेगी लेफ्ट, 8 जनवरी को भारत बंद का ऐलान
गौरतलब है कि नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. जिसके अनुसार भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी, जबकि मुस्लिम शरणार्थियों को इससे वंचित रखा गया है.