अधिसूचना जारी, अब भारतीय सेना में महिला अधिकारियों ​को मिलेगा स्थायी कमीशन

आखिरकार सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिए जाने का रास्ता साफ हो गया. रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस बावत अधिसूचना जारी कर दी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार को सेना में महिलाओं को शीर्ष पद देने का आदेश दिया था.

महिला सैन्य अधिकारी (फोटो क्रेडिट- PTI)

आखिरकार सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिए जाने का रास्ता साफ हो गया. रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस बावत अधिसूचना जारी कर दी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार को सेना में महिलाओं को शीर्ष पद देने का आदेश दिया था. सरकार की मंजूरी मिलने के बाद शॉर्ट सर्विस कमिशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों का भारतीय सेना के सभी दस हिस्सों में स्थायी कमीशन हो सकेगा. सरकार ने सेना में विभिन्न शीर्ष पदों पर महिलाओं की तैनाती के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया है. इस आदेश के मुताबिक शॉर्ट सर्विस कमिशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को भारतीय सेना के सभी दस हिस्सों में स्थायी कमीशन की इजाजत दे दी गई. इस आदेश के बाद अब जल्द ही परमानेंट कमीशन सेलेक्शन बोर्ड की ओर से महिला अफसरों की तैनाती हो सकेगी. इसके लिए सेना मुख्यालय ने कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

दस विंग इस प्रकार हैं:-

1. आर्मी एयर डिफेंस (एएडी)

2. सिग्नल

3. इंजीनियर्स

4. आर्मी एविएशन

5. इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई)

6. आर्मी सर्विस कोर

7. आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स

8. इंटेलिजेंस कॉर्प्स

9. जज और एडवोकेट जनरल

10. आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स

सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना सभी महिला अधिकारियों को देश की सेवा करने का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है. रक्षा मंत्रालय की औपचारिक मंजूरी के बाद महिला अधिकारियों को संगठन में बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार मिल गया है. सेना मुख्यालय ने स्थायी आयोग चयन बोर्ड बनाने के लिए प्रारंभिक कार्रवाई शुरू कर दी है. सभी एसएससी महिला अधिकारियों को अपेक्षित दस्तावेज पूरा करने के लिए चयन बोर्ड जल्द से जल्द गठित किया जाएगा. भारतीय सेना राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिला अधिकारियों सहित सभी कर्मियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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महिलाओं की लंबी लड़ाई:

महिलाओं को पहली बार 1927 में सैन्य नर्सिंग सेवा के हिस्से के रूप में और 1943 में चिकित्सा अधिकारियों के रूप में सेना में शामिल किया गया था. हालांकि, महिला अधिकारियों को 1992 में ही सेना की अन्य शाखाओं में काम पर रखा जाने लगा और वह भी केवल छोटी सेवा के तहत. पांच साल के लिए कमीशन.

सेवा का कार्यकाल 1996 में 10 साल और 2004 में 14 साल तक बढ़ा दिया गया था. 1992 और 2001 के बीच, महिलाओं के लिए सेना की आठ नई शाखाएँ खोली गईं. 2010 में, महिलाओं को सेना के कानूनी और शिक्षा कोर (चिकित्सा सेवाओं के अलावा) में स्थायी कमीशन दिया गया था। सरकार ने एक साल पहले नव-भर्ती महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया था, लेकिन बल में पहले से ही कम सेवा आयोग के अधिकारियों को नहीं था।

अब तक क्या है व्यवस्था:

अभी तक भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती रही है। इसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं. इस अवधि के बाद उन्हें सेनानिवृत्त कर दिया जाता है. 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा था कि सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए.

दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही सेना में महिलाओं ​​के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया था लेकिन यह आदेश लागू नहीं किया गया. हाई कोर्ट के इस आदेश को 9 साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 17 फरवरी को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है तो फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को क्यों नहीं लागू किया. हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है.

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'महिलाएं पुरुषों से ऊपर':

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि वो वास्तव में पुरुषों से ऊपर हैं. अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि महिलाओं के युद्धबंदी होने की सूरत में उनकी बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्तियों में लैंगिक भेदभाव को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया गया कि उनका किसी भी तरह से यह मतलब नहीं है कि पुरुष महिलाओं से कमांड नहीं ले सकती हैं.

इस पर कोर्ट ने कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं. महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है, इसलिए महिला अधिकारी कमांड नियुक्तियां प्राप्त कर सकती हैं. ​​सभी महिला अधिकारियों को न केवल 14 साल बल्कि उससे आगे भी स्थायी कमीशन देना चाहिए.

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कई देशों में है महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन:

विश्व कई देशो में महिलाएँ युद्धक पदों का हिस्सा रही हैं, उदाहरण स्वरूप नॉर्वे में 1985 से, डेनमार्क में 1988 से, कनाडा में 1989 से और इज़राइल में 1995 से महिलाएँ युद्धक पदों पर कार्य कर रही है ,2013 में अमेरिका और ऑस्ट्रेलियाई ने युद्धक भूमिकाओं में सेवारत महिला सैनिकों पर प्रतिबंध उठा लिया. ब्रिटेन ने प्रतिबंध हटा लिया. 2016 में ब्रिटिश सेना में क्लोज कॉम्बैट यूनिट्स में सेवारत महिलाओं पर से प्रतिबंध उठा लिया.

फ़िनलैंड, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, पोलैंड, रोमानिया और स्वीडन जैसे कई अन्य देश हैं जो महिलाओं को नज़दीकी युद्धक भूमिकाओं भाग लेने की की अनुमति देते हैं. जबकि कुछ देशों में, यह कानून था कि महिलाओं (1999 में स्पेन) को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया गया था, दूसरों में यह न्यायपालिका थी जिसने रास्ता दिखाया (जर्मनी ने यूरोपीय न्यायालय के फैसले के बाद 2001 में इसकी अनुमति दी). 2018 में, स्लोवेनिया ने मेजर जनरल अलेंका इर्मेंक को सेना का प्रमुख नियुक्त किया, जिससे वह नाटो देश की सेना की नेतृत्व करने वाली एकमात्र महिला बन गईं.

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