नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी श्रमिकों को केवल इस आधार पर राशन कार्ड देने से मना नहीं कर सकती कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत जनसंख्या अनुपात उचित तरह से नहीं रखा गया है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की बेंच ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए और किसी कल्याणकारी राज्य में सरकार की जिम्मेदारी है कि लोगों तक पहुंचे. Mumbai Metro: सुप्रीम कोर्ट ने आरे में 177 पेड़ काटने की दी इजाजत, MMRCL पर लगाया 10 लाख का जुर्माना.
पीठ ने कहा, 'हम यह नहीं कह रहे कि सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाई या कोई लापरवाही हुई है. फिर भी अगर कुछ लोग छूट जाते हैं तो केंद्र और राज्य सरकारों को देखना चाहिए कि उन्हें राशन कार्ड मिल जाए.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का काम है कि वह जरूरतमंदों तक पहुंचे और कभी-कभी एक कल्याणकारी सरकार के रूप में, ''कुएं को प्यासे के पास जाना पड़ता है.''
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केंद्र की ओर से पेश ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 28.86 करोड़ श्रमिकों ने 'ई-श्रम' पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, जो निर्माण श्रमिकों, प्रवासी मजदूरों, सड़क विक्रेताओं और घरेलू मदद जैसे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए है.
डेटा साझा करने के मुद्दे पर, भाटी ने कहा कि गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण डेटा को सुरक्षित तरीके से साझा करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं लाई गई हैं. उन्होंने बताया कि डेटा साझाकरण 24 राज्यों और उनके श्रम विभागों के बीच हो रहा है. हमने प्रारंभिक डेटा मैपिंग की है. लगभग 20 करोड़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी हैं जो पोर्टल पर पंजीकृत हैं. एनएफएसए केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त प्रयास है.