महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन, परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर एंबुलेंस नहीं देने का आरोप लगाया
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में निधन हो गया. वह 77 साल के थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताते हुए इसे समाज और बिहार के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है. सिंह करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे. इस बीच, उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है.
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) का गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में निधन हो गया. वह 77 साल के थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उनके निधन पर शोक जताते हुए इसे समाज और बिहार के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है. सिंह करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे. इस बीच, उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है.
उनके एक करीबी ने बताया कि कुछ समय से पटना में रह रहे सिंह की तबीयत गुरुवार तड़के खराब हो गई थी, जिसके बाद परिजन उन्हें लेकर तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (PMCH) पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बिहार के भोजपुर में बसंतपुर के रहने वाले सिंह की तबीयत पिछले महीने भी खराब हुई थी, तब उनका इलाज पीएमसीएच में ही कराया गया था, बाद में इन्हें छुट्टी दे दी गई थी.
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इस बीच, डॉ़ सिंह के भाई अयोध्या प्रसाद सिंह ने अस्पताल प्रशासन पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि अस्पताल ने एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं करवाया और शव को बाहर निकाल दिया. बाद में मीडिया में खबर आने के बाद प्रशासन एंबुलेंस लेकर पहुंचा. उनके भाई ने कहा कि जब जिंदा में ही कुछ नहीं किया गया तो अब सरकार क्या करेगी? उन्होंने एक कहावत कही, "अंधे के सामने रोना, अपना ही दीदा (आंख) खोना."
उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताते हुए कहा, "सिंह ने समाज और बिहार का नाम रौशन किया है. उनका निधन बिहार के लिए अपूर्णीय क्षति है. वे प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं." उन्होंने डॉ़ सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से करने की घोषणा की. इसके बाद मुख्यमंत्री पटना स्थित उनके आवास पर गए और उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्घांजलि दी और शोक संतप्त परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना दी.
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अपने शैक्षणिक जीवनकाल से ही कुशाग्र रहे थे. डा. सिंह नेतरहाट आवासीय विद्यालय के छात्र थे और सन 1962 उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर कैली से हुई. उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रोफेसर कैली ने उन्हे बर्कली आ कर शोध करने का निमंत्रण दिया. सन 1963 में वे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए चले गए. 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.
चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किए गए उनके शोध कार्य ने उन्हें भारत और विश्वभर में प्रसिद्घ कर दिया. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ समय के लिए वह भारत आए, मगर जल्द ही अमेरिका वापस चले गए और वॉशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया. इसके बाद 1971 में सिंह पुन: भारत वापस लौट आए. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में भी काम किया. साल 1974 से वे कई गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित हो गए थे.