नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जा रही हत्याओं को रोकने के लिए मोदी सरकार एड़ी चोटी का बल लगा रही है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग पर लगाम लगाने के लिए मानव सुरक्षा कानून (मासुका) बनाने पर विचार कर रही है. इसके लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक दंड संहिता में नए कानून लाए जाएंगे.
खबरों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने एक मसौदा रिपोर्ट बना लिया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि भीड़ की हिंसा का अपराध गैर-जमानती हो और इससे जुड़ा मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए तथा पीड़ित व्यक्ति को केंद्रीय फंड से वित्तीय सहायता प्रदान की जाए. गाबा फिलहाल तीन सदस्यों वाली कमेटी के अनौपचारिक अध्यक्ष हैं. इस कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास, प्रवीण वशिष्ठ और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक अभय शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गाबा की अगुवाई वाली यह कमेटी 21 अगस्त को इससे जुड़ी रिपोर्ट केंद्रीय मंत्री समूह को सौंपेगी. जिसकी अगुवाई केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं. मंत्री समूह के अन्य सदस्यों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद और सामाजिक एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत शामिल हैं.
यही केंद्रीय मंत्रीयों का समूह मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए नए कानून के मसौदे में जरुरी बदलाव करेगा और अगर सब कुछ सही रहा तो अंतिम मंजूरी के लिए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा. बता दें की मसौदा बनाने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों के दल ने सभी संभावना पर चर्चा की. तीन सदस्यों वाली कमेटी ने ज्यादातर मॉब लिंचिंग की घटना होनेवाले राज्यों- उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, असम, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार से लगातार संपर्क कर प्रतिक्रियाएं ली.