नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली (Delhi) में हुई हिंसा ने व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है. कुछ इलाकों में छोटे बाजार तो गुरुवार से खुलने शुरू हो गए हैं, मगर बड़ी दुकानें व शोरूम अभी भी बंद हैं. इससे इलाके में रोजमर्रा का व्यापार चौपट हो गया है. इस सप्ताह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थक व विरोधियों के बीच झड़प बढ़ने से उत्पन्न हुई हिंसा के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में काफी तबाही देखने को मिली है. इस हिंसा में कई बड़ी दुकानें, गाड़ियों के शोरूम और पेट्रोल पंप तक जलाकर खाक कर दिए गए. हिंसा से हुए नुकसान का आकलन करने में तो समय लगेगा, मगर इतना तय है कि क्षेत्र में रोजाना होने वाले व्यापार पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
हिंसा प्रभावित ज्यादातर इलाकों में तो छोटी व बड़ी सभी मार्केट बंद हैं. साथ ही इन इलाकों में होलसेल मार्केट का धंधा भी मंदा हो गया है. गोकुलपुरी में रहने वाले सूरज ने बताया कि वह चांदनी चौक स्थित एक दुकान में काम करते हैं. वे फिलहाल दुकान नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें घर की चिंता भी सता रही है. उनका दावा है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा से न केवल यमुनापार, बल्कि सदर बाजार और चांदनी चौक समेत पुरानी दिल्ली के सभी बाजारों की रौनक पर असर पड़ा है.
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पुरानी दिल्ली के सभी बाजार इन दिनों सूने पड़े हैं. बाजार में काम करने वाले कामगार की संख्या बेहद कम है. उधर, हिंसा वाले इलाके से थोड़ी दूर स्थित गारमेंट के लिए विख्यात गांधी नगर, कृष्णा नगर का लाल क्वॉर्टर बाजार, जाफराबाद का जैकेट बाजार, मेहरा कॉलोनी स्थित फर्नीचर बाजार और गोकलपुरी का टायर बाजार समेत सभी स्थानीय बाजारों का व्यापार चौपट हो गया है. गांधी नगर थोड़ी देर के लिए खुलता तो जरूर है, लेकिन जैसे ही अफवाह का बाजार गर्म होता है तो दुकानदार शटर गिराकर घर लौट जाते हैं.
गांधी नगर होलसेल रेडीमेड मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष के. के. बल्ली का कहना है कि गांधी नगर में महज 25 फीसदी ही व्यापार हो पा रहा है. वेलकम, जाफराबाद, सीलमपुर में माल बनता है, लेकिन यहां भड़की हिंसा की वजह से सभी फैक्ट्रियां बंद हैं. इसी तरह मौजपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर में सबसे अधिक कारीगर रहते हैं. हिंसा की वजह से वह घर से निकलने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि होली पर्व पर पूरे देश के व्यापारी कपड़ा खरीदने यहां पहुंचते हैं, लेकिन इस बार धंधा मंदा हो गया है. अफवाहों की वजह से भी व्यापार चौपट है. रोज व्यापार करने पहुंचने वाले व्यापारी भी डर की वजह से सदर बाजार नहीं पहुंच रहे हैं और यहां शाम छह बजे से पहले ही दुकानों के शटर बंद होने लगते हैं. एक व्यापारी ने कहा कि पूर्वी दिल्ली से बनने वाला माल सदर बाजार नहीं पहुंच पा रहा है. त्योहार के दिनों में बाजार ठंडा पड़ा हुआ है.