मुंबई: आईआईटी बॉम्बे के टेकफेस्ट में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने आने वाले वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के उज्ज्वल भविष्य की झलक दिखाई. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद सभी की निगाहें इस पर टिकी थीं कि आखिर आने वाले 25 सालों में इसरो क्या बड़ा करने वाला है. अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि, "हमने 2047 तक के अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए हैं... हम अंतरिक्ष में एक स्पेस स्टेशन बना सकते हैं, हम अपने इंसान को चंद्रमा पर भेज सकते हैं, और हम चंद्रमा पर ही आर्थिक गतिविधियों का आधार भी खड़ा कर सकते हैं."
चंद्रयान-3 की सफलता, भविष्य की उम्मीद
चंद्रयान-3 मिशन का सफलतापूर्वक लैंडिंग इस बात का प्रमाण है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान किस तेजी से आगे बढ़ रहा है. लैंडर और रोवर दोनों ही अब चंद्रमा की सतह पर हैं. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 से सीखी गई तकनीक आने वाले मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.
इसरो के आगामी मिशन
मॉस आर्बिटर मिशन-2- लॉन्चिंग साल-2023, लागत- अभी तय नहीं हुई है.
मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- लॉन्चिंग साल-2023
शुक्रयान-1 मिशन- लॉन्चिंग साल-2031, लागत-500 से 1000 करोड़
स्पैडेक्स मिशन- लॉन्चिंग साल- 2023, लागत- 124 करोड़
अंतरिक्ष स्टेशन-भारतीय सपना
भारत अब अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की ओर गंभीरता से विचार कर रहा है. सोमनाथ ने बताया कि इस स्टेशन का निर्माण 2030 तक शुरू होने की उम्मीद है, जो न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बल्कि अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा.
चंद्रमा पर मानव मिशन
सोमनाथ ने एक और बड़ा लक्ष्य का खुलासा किया, भारत जल्द ही अपने मानव मिशन को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है. सफलता के बाद भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर पहुंचाया है.
चंद्रमा पर आर्थिक गतिविधि
सोमनाथ ने बताया कि भारत चंद्रमा पर खनिजों के निष्कर्षण और उपयोग के लिए भी तकनीक विकसित कर रहा है. इससे भविष्य में अंतरिक्ष में आर्थिक गतिविधियों का एक नया अध्याय लिखा जा सकता है.