दिल्ली में 'टॉय गन' दिखाकर व्यक्ति का अपहरण, 50 लाख रुपये की फिरौती लेने के बाद छोड़ा

पुलिस उपायुक्त प्रियंका कश्यप ने कहा कि 18 दिसंबर को एक कॉल आई थी, जिसमें फोन करने वाले की पहचान विकास अग्रवाल के रूप में हुई थी, फोन पर कहा गया था कि उनके बेटे किंशुक को गाजीपुर के फ्लावर मार्केट से बंदूक की नोंक पर अगवा किया गया और बाद में 50 लाख रुपये की फिरौती देकर छोड़ा गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में एक व्यक्ति का खिलौने वाली बंदूक (Toy Gun) की मदद से अपहरण किया गया और उसके पिता से 50 लाख रुपये की फिरौती ली गई. पुलिस (Police) ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि दिल्ली (Delhi) के शालीमार बाग निवासी किंशुक नाम के शख्स को अगवा करने के आरोप में दो महिलाओं समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. Delhi Shocker: मोतीनगर में कुत्तों के झुंड के हमले में 3 साल के बच्ची की मौत, जांच जारी

पुलिस उपायुक्त प्रियंका कश्यप ने कहा कि 18 दिसंबर को एक कॉल आई थी, जिसमें फोन करने वाले की पहचान विकास अग्रवाल के रूप में हुई थी, फोन पर कहा गया था कि उनके बेटे किंशुक को गाजीपुर के फ्लावर मार्केट से बंदूक की नोंक पर अगवा किया गया और बाद में 50 लाख रुपये की फिरौती देकर छोड़ा गया.

संपर्क करने पर किंशुक ने बताया कि वह अपनी कर्मचारी ऋचा सबरवाल, (जो अपने पिता के बैंक्वेट हॉल में फूल डेकोरेटर का काम करता है) ड्राइवर जितेंद्र के साथ फूल खरीदने के लिए गाजीपुर स्थित फूल मार्केट गया था.

फ्लावर मार्केट में काम खत्म करने के बाद जब उन्होंने कार में कदम रखा, तो ब्लैक हुड जैकेट, टोपी और मास्क पहने एक व्यक्ति ने उन्हें खिलौने वाली बंदूक की नोंक पर अगवा कर लिया और ड्राइवर को कार को अशोक विहार की ओर ले जाने के लिए कहा. अशोक विहार जाते समय अपहरणकर्ता ने किंशुक के पिता विकास अग्रवाल के मोबाइल पर वाट्सएप कॉल कर एक करोड़ रुपये की मांग की.

संक्षिप्त बातचीत के बाद, विकास अग्रवाल ने दिल्ली के अशोक विहार में 50 लाख रुपये दिये. इसके बाद अपहरणकर्ता ने किंशुक, ऋचा और चालक जितेंद्र को छोड़ दिया और विकास अग्रवाल को कार चलाने के लिए कहा.

पीड़िता के पिता विकास ने अगले दिन मामले की सूचना पुलिस को दी. इस सूचना के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 346 ए, 25 और 27 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस टीम का गठन किया गया, जिसने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की. डीसीपी ने कहा, "इस विशाल कार्य में, टीम द्वारा लगभग 70 किमी की दूरी तय करके लगभग 150 सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई."

सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण के दौरान एक संदिग्ध स्कूटी दिखाई दी, जिसके बाद कमल बंसल नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, जिसने ओंकार नगर निवासी अपने दोस्त गुरमीत सिंह का नाम बताया.

अधिकारी ने कहा, "तुरंत गुरमीत सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खुलासे पर अन्य सह-आरोपी ऋचा, (जो अपराध की मास्टरमाइंड थी और पीड़िता के साथ उसके अपहरण की साजिश रची) को पकड़ लिया गया."

लगातार पूछताछ करने पर पता चला कि गुरमीत सिंह, ऋचा सबरवाल और अनीता (ऋचा की मां) ने किंशुक को अगवा करने और विकास अग्रवाल से रंगदारी वसूलने की योजना बनाई थी. तदनुसार, उन्होंने एक खिलौना बंदूक खरीदी और 17 दिसंबर को योजना को अंजाम दिया. पुलिस ने कहा कि आरोपी से अब तक 36 लाख रुपये की राशि बरामद की जा चुकी है और आगे की जांच जारी है.

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