नाना पाटेकर ने फिर उठाई किसानों के हित की आवाज, कहा- अन्नदाता  नहीं हैं  भिखारी, सिर्फ कर्जमाफी से नहीं मिलेगी मदद
नाना पाटेकर (Photo Credits: Instagram)

चिंचवड: दमदार अभिनय की बदौलत बॉलीवुड में एक अलग मुकाम हासिल करने वाले एक्टर नाना पाटेकर (Actor Nana Patekar) सादगी भरा जीवन जीना पसंद करते हैं. उन्हें किसानों (Farmers) का मसीहा भी कहा जाता है, क्योंकि वे उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. एक बार फिर नाना पाटेकर ने किसानों के हित के लिए आवाज उठाई है. बुधवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के चिंचवड (Chinchwad) में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किसानों के मुद्दे पर कहा कि अन्नदाता भिखारी नहीं है, सिर्फ कर्जमाफी (Loan Waiver) से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर राजनेता पैसा नहीं देते हैं तो कोई बात नहीं, किसानों को कर्जमाफी की जरूरत नहीं है. किसानों को भावनात्मक समर्थन और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत है. किसानों से बात करने की आवश्यकता है. अकेले कर्जमाफी से उन्हें मदद नहीं मिलेगी, वे भिखारी नहीं हैं.

कलारंग संस्था की 21वीं वर्षगांठ पर आयोजित इस कार्यक्रम में नाना पाटेकर के अलावा विधायक महेश लांडे, लक्ष्मण जगताप, शिक्षाविद पी डी पाटिल और उप महापौर तुषार हिंगे ने शिरकत की. इस मौके पर उन्होंने एनसीपी के मुखिया शरद पवार (Sharad Pawar) का जिक्र करते हुए कहा कि शरद पवार हमेशा से उनके नायक थे, वे भारतीय राजनीति के चाणक्य हैं. इसके अलावा उन्होंने नाम फाउंडेशन (NAAM Foundation) की मदद के लिए गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) को धन्यवाद दिया और कहा कि सभी राजनीतिक दलों में मेरे दोस्त हैं. चाहे वो शरद पवार, उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस ही क्यों न हो, ये सभी मेरे दोस्त हैं.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे दिवंगत अदाकारा स्मिता पाटिल की वजह से फिल्मी दुनिया में आए. उन्होंने कहा कि उन्हें फिल्मों से ज्यादा नाटक पसंद है, क्योंकि उन्हें लोगों के बीच परफॉर्म करना अच्छा लगता है. नाना पाटेकर ने कहा कि दर्द हर किसी के जीवन में मौजूद है और इसी वजह से नाम फाउंडेशन अस्तित्व में आया. यह भी पढ़ें: Birthday Special: नाना पाटेकर के ये बेहतरीन डायलॉग्स समाज को आज भी दिखाते हैं सच्चाई का आईना

गौरतलब है कि किसानों के हित के लिए आगे रहने वाले नाना पाटेकर ने साल 2015 में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और लातूर के सूखाग्रस्त किसानों को मदद पहुंचाई थी. इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 किसान परिवारों को 15-15 हजार के चेक भी बांटे थे. नाम फाउंडेशन नाम के एनजीओ के जरिए वे किसानों की मदद करते हैं.