महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को पूरा हो गया है. लेकिन भी तक राज्य को उसका नया मुख्यमंत्री नहीं मिला है. सीएम न मिलने की वजह यह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बीच कुर्सी को लेकर टशन अब भी बरकरार है. दोनों ही दलों के नेता के अभी एक दूसरे से दुरी बनाकर बैठे हैं. ऐसे में सियासी संकट अब अपने चरम पर पहुंचें लगा है. लेकिन इतना होने के बाद भी सेना और बीजेपी के नेताओं के बीच जुबानी दंगल जारी है. एक बार फिर शिवसेना के नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) ने कहा, अगर कोई सरकार बनाने को तैयार नहीं है तो शिवसेना इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार है. इस दौरान संजय राउत ने यह भी कहा कि कांग्रेस राज्य की दुश्मन नहीं है. सभी पार्टियों में कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद जरुर हो सकता है.
वहीं इस बीच कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा के ट्वीट ने फिर से सूबे की सियासी हलचल को और भी गरमा दिया है. मिलिंद देवड़ा ट्वीट कर कहा कि, महाराष्ट्र के राज्यपाल को कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस को निमंत्रण देना चाहिए. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है.
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संजय राउत ने कहा
Shiv Sena leader Sanjay Raut: Congress is not the enemy of the State. All parties have differences on some issues. https://t.co/ckIfQzI4TP
— ANI (@ANI) November 10, 2019
मिलिंद देवरा ने कहा
Maharashtra’s Governor should invite NCP-Congress - the second largest alliance - to form the government now that BJP-Shivsena have refused to do so
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) November 10, 2019
वहीं इस बीच कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा के ट्वीट ने फिर से सूबे की सियासी हलचल को और भी गरमा दिया है. मिलिंद देवड़ा ट्वीट कर कहा कि, महाराष्ट्र के राज्यपाल को कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस को निमंत्रण देना चाहिए. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है.
दरअसल सूबे की राजनीति अब तक स्पष्ट नहीं पाया है कि कौन कितने पानी में है. वैसे सरकार बनाने का दम तो शिवसेना और बीजेपी दोनों ही भर रही हैं. लेकिन अगर आंकड़ो पर नजर डालें तो बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और उसका दावा है कि उसे कुछ निर्दलीय तथा छोटी पार्टियों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि 288 सीटों वाली विधानसभा में क्या वह बहुमत के 145 के आंकड़े पर पहुंच सकती है या नहीं.
दूसरी तरफ शिवसेना भी दम भर रही है कि वो चाहे तो सरकार बना सकती है. लेकिन उनक विधायकों की संख्या इनती कम है कि उन्हें किसी अन्य पार्टी का समर्थन हासिल करना होगा. पिछले कुछ दिनों के सियासी गहमागहमी में देखा गया कि कैसे शरद पवार ने साफ तौर पर कह दिया कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी. अब कांग्रेस राज्यपाल के निमंत्रण की आस लिए बैठी है.