Mahakumbh 2025: संतों ने अमृत स्नान का महत्व बताया, बोले- एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर मिलता है पुण्य

संगम नगरी प्रयागराज में 'महाकुंभ 2025' की शुरुआत पौष पूर्णिमा से बहुत ही धूमधाम से हो गई है. साधु संतों और नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जो महाकुंभ में आते हैं और अपना शिविर डालते हैं. लाखों साधु-संतों ने मकर संक्रांति के दिन अमृत स्नान किया.

Mahakumbh 2025: संतों ने अमृत स्नान का महत्व बताया, बोले- एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर मिलता है पुण्य
(Photo Credits PTI)

महाकुंभ नगर, 15 जनवरी : संगम नगरी प्रयागराज में 'महाकुंभ 2025' की शुरुआत पौष पूर्णिमा से बहुत ही धूमधाम से हो गई है. साधु संतों और नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जो महाकुंभ में आते हैं और अपना शिविर डालते हैं. लाखों साधु-संतों ने मकर संक्रांति के दिन अमृत स्नान किया. मकर संक्रांति के दिन दृश्य विहंगम था. अखाड़ों ने हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ भव्य जुलूस निकाला. इनसे जुड़े संत, संन्यासी और नागा साधु 17 श्रृंगार करके संगम तट पर पहुंचे और स्नान किया.

बुधवार को निरंजनी अखाड़े के नागा साधु सिद्धपुरी, अग्नि अखाड़े के महंत आदित्तानंद शास्त्री और साध्वी सोनिया नाथ औघड़ ने आईएएनएस से अमृत स्नान के महत्व और नियमों को लेकर बातचीत की. यह भी पढ़ें : योगी आदित्यनाथ और अखिलेश ने बसपा प्रमुख मायावती को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं

निरंजनी अखाड़े के नागा साधु सिद्ध पुरी भगवान को याद करते हुए बताया कि "सुबह चार बजे उठकर स्नान करके ध्यान लगाना चाहिए. मूर्ति पूजा करने और न करने दोनों परिस्थिति में ईश्वर को याद करना चाहिए. इस दुनिया को जो चला रहा है, वो एक है, जो हमसे भी बड़ा है, जो धरती पर दिन-रात कर रहा है. इस वजह से हम परमात्मा को किसी न किसी रूप में मानते आए हैं."

उन्होंने बताया "देवता और राक्षस के बीच लड़ाई में जहां-जहां पर अमृत की बूंद गिरी, वहां पर महाकुंभ का मेला लगता है. प्रत्येक छह साल के बाद अर्धकुंभ और 12 साल के बाद महाकुंभ होता है. इसमें शाही स्नान होता है, जिसे करने से स्नान के कई जन्मों का पाप खत्म हो जाता है. इंसानी जीवन के लिए शाही स्नान (अमृत स्नान) बनाया गया है."

साध्वी सोनिया नाथ औघड़ ने बताया, "अखाड़े में मौजूद गुरु जो आदेश करते हैं, वो हम करते हैं. मैं इस अखाड़े में नई हूं. भगवा वस्त्र पहनकर बहुत अच्छा लग रहा है. अपने सनातन धर्म की रक्षा में हम लोग हमेशा आगे रहेंगे. जैसे गृहस्थ जीवन में रिश्ते होते हैं, वैसे ही गुरु भी अपने बच्चे की तरह कभी-कभी डांटते हैं, उनके रूप में भाई और मां देखने को मिलता है. पिछले जन्म में कोई पुण्य किया होगा, जो इस जन्म में साध्वी बनने का मौका मिला."

अग्नि अखाड़े के महंत आदित्तानंद शास्त्री ने अमृत स्नान के महत्व के बारे में बताया कि 1,000 अश्वमेध यज्ञ करने से जो फल मिलता है, वो मकर संक्रांति और महाकुंभ में स्नान करने वालों को मिला है. जो वांछित हैं, उन्हें यह लाभ प्राप्त नहीं होगा. सभी काम छोड़कर लोगों को स्नान करना चाहिए. अमृत स्नान के बाद हम देवताओं का ध्यान लगाते हैं और ज्ञान पर चर्चा करते हैं.


संबंधित खबरें

'जब संभल जैसी सच्चाई सामने आएगी, तो कुछ लोग अपना मुंह नहीं दिखा पाएंगे', जानें किस बात पर भड़के CM योगी

CM Yogi on Maha Kumbh Stampede Coverage: यूपी सरकार ने महाकुंभ भगदड़ की कवरेज की इजाजत क्यों नहीं दी? जानिए सीएम योगी ने क्या कहा

VIDEO: महाकुंभ खत्म होने के बाद भी बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे श्रद्धालु, संगम में लगा रहे डूबकी

Viral Video: नोएडा की एक सोसायटी में लोगों ने किया महाकुंभ के जल से पवित्र स्नान, स्विमिंग पूल को त्रिवेणी संगम बनाकर लगाई डुबकी

\