लोकसभा चुनाव 2019: EC का निर्देश- सभी उम्मीदवारों को विज्ञापन देकर बताना होगा अपना अपराधिक रिकॉर्ड

गौरतलब हो कि निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपने आपराधिक रिकॉर्ड बताने वाले विज्ञापन देने में असफल रहने वाले उम्मीदवारों को अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है और जो लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों के गलत अपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित करा रहे हैं उनके खिलाफ भ्रष्ट तरीकों का प्रयोग करने के सिलसिले में जुर्माना लग सकता है.

चुनाव आयोग (Photo Credit- File Photo)

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद देश के भीतर अब सियासी रंग तेजी से चढ़ने लगा है. बीजेपी हो या कांग्रेस सभी पार्टियां तैयारीयों में जुट गई हैं. लेकिन इस बार आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को उनके खिलाफ मामलों की जानकारी टीवी के साथ अख़बारों में तीन बार विज्ञापन देकर अखबार में प्रकाशित करानी होगी. जिसका इस्तेमाल इस बार के लोकसभा चुनाव में किया जाएगा. बता दें कि इस बार का लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल 2019 से 19 मई 2019 होना है. वहीं चुनाव के परिणाम 23 तारीख को घोषित हो जाएंगे.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिये सातों चरण के मतदान के बाद 23 मई को मतगणना होगी. पहले चरण में 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों के लिये 11 अप्रैल को मतदान के बाद दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को, तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर 23 अप्रैल को, चौथे चरण में नौ राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर 29 अप्रैल को, पांचवें चरण में सात राज्यों की 51 सीटों पर छह मई को, छठवें चरण में सात राज्यों की 59 सीटों पर 12 मई को और सातवें चरण में आठ राज्यों की 59 सीटों पर 19 मई को मतदान होगा. उल्लेखनीय है कि 2014 में 16वीं लोकसभा का चुनाव नौ चरण में कराया गया था.

गौरतलब हो कि निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपने आपराधिक रिकॉर्ड बताने वाले विज्ञापन देने में असफल रहने वाले उम्मीदवारों को अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है और जो लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों के गलत अपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित करा रहे हैं उनके खिलाफ भ्रष्ट तरीकों का प्रयोग करने के सिलसिले में जुर्माना लग सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

* अदालत ने निर्देश दिए कि हर उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करते समय पर्चे में अपने लंबित आपराधिक मामले के बारे में 'बोल्ड' में जानकारी देनी होगी.

* चुनाव में खड़े होने के इच्छुक दावेदारों को अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी संबद्ध राजनीतिक पार्टी को देनी होगी.

* राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के आपारधिक रिकॉर्ड को वेबसाइट पर सार्वजनिक करना होगा.

* नामांकन दाखिल करने के बाद राजनीतिक दल और उम्मीदवार को लंबित आपराधिक मामले की जानकारी विस्तार से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में देनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गंभीर आपराधिक मामले में आरोपी व्यक्ति के विधायिका में प्रवेश को रोकने के लिए कानून बनाने की जिम्मेदारी अब संसद के ऊपर है.

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