लॉकडाउन 4.0: कोरोना संकट के बीच कैश पेमेंट करते समय रखें कुछ बातों का खास ध्यान
कोरोना वायरस को देश में दस्तक दिए दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं. काफी हद तक लोगों को वायरस से खुद को सुरक्षित रखने के तरीके मालूम हैं, लेकिन फिर भी, कब चूक हो जाए, कुछ पता नहीं। अब कैश पेमेंट यानी नकद भुगतान को ही ले लीजिए.
कोरोना वायरस (Coronavirus) को देश में दस्तक दिए दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं. काफी हद तक लोगों को वायरस से खुद को सुरक्षित रखने के तरीके मालूम हैं, लेकिन फिर भी, कब चूक हो जाए, कुछ पता नहीं। अब कैश पेमेंट यानी नकद भुगतान को ही ले लीजिए. भले ही अभी तक नोटों या सिक्कों से कोरोना के संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ कैश पेमेंट करते समय सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं. गंगाराम हॉस्पिटल में चिकित्सक डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी की मानें तो नोट हो या कोई भी अन्य चीज, लेन-देन के तुरंत बाद हाथ जरूर धोएं या सैनिटाइज करें.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसी भी वस्तु पर वायरस हमेशा नहीं रहता, एक निश्चित समय-सीमा के बाद वह नष्ट हो जाता है. अगर कोई भी सामान या नोट 10-12 घंटे के लिए धूप में या ऐसी जगह रख दें जहां कोई जाता नहीं हो तो अगर उस पर वायरस होगा तो नष्ट हो जाएगा. लोग चाहें तो सेनिटाइज कर लें. कोई भी चीज या रुपए लेने से पहले हाथों पर सेनिटाइजर लगा लें और लेने के बाद घर आकर फिर हाथ धोएं. यह भी पढ़े: कोरोना को लेकर अहमदाबाद में कैश पर रोक, होम डिलीवरी करने वालों को 15 मई से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना होगा अनिवार्य
मास्क, हैंड वॉश को अब आदत में करें शामिल
आकाशवाणी से बातचीत के दौरान डॉ. वेद चतुर्वेदी ने वायरस से बचने के लिए हैंड वॉश, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को आदत में लाने पर जोर दिया और कहा कि अगर किसी को मास्क लगाने के लिए कहा गया है तो, उसकी खुद की सुरक्षा के लिए ही कहा जा रहा है। ताकि वायरस के संक्रमण से बचे रहें। इस दौरान उन्होंने कहा कि कई लोग मास्क को उलझन की वजह से थोड़ी-थोड़ी देर में नीचे कर देते हैं या निकाल देते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल न करें और बार-बार हाथ से मास्क को न छूएं। इससे वायरस मुंह या नाक के जरिए शरीर के अंदर जा सकता है। कई बार उलझन होती है, लेकिन घबराएं नहीं, धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी होगी.
यही वायरस से बचने का एक मात्र उपाय है. इसलिए अब मास्क पहनने और हैंड वॉश की आदत डालना जरूरी हो गया है. पहले हमारे देश में किसी को मास्क लगाने की आदत नहीं थी, क्योंकि तब जरूरत नहीं थी. अब वायरस ऐसा है कि उससे बचने के लिए मास्क जरूरी है, तो उसे लगाकर रखें. वहीं जो लोग भीड़ में नहीं रहते या घर में रहते हैं उन्हें मास्क और सभी दिशा निर्देशों का कितना पालन करना है, इस पर डॉ. वेद ने कहा कि वायरस का संक्रमण केवल संक्रमित के संपर्क में या भीड़-भाड़ में जाने से ही होता है. लेकिन अगर आप अकेले रहते हैं और सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हैं .तो भी मास्क लगाएं और हैंड वॉश करें, इससे इन ये आदत में शुमार होगी और आने वाले दिनों में भी वायरस के संक्रमण से बचाता रहेगा.
वायरस से जीतने के लिए आत्मविश्वास जरूरी
डॉ. वेद ने कहा कि वायरस का संक्रमण हो जाएगा इससे भयभीत होने की भी जरूरत नहीं है। क्योंकि हमारे देश में लोग ठीक हो रहे हैं। हाल ही में 88 वर्षीय के. एस. जायसवाल कोविड19 से ठीक होने वाले दिल्ली के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बन गये हैं। इस बारे में बताते हुए कहा कि हर युद्ध में जीतने के लिए जज़्बा चाहिए होता है, फिर चाहे युद्ध कोरोना वायरस से ही क्यों न हो. अगर किसी के अंदर आत्मविश्वास है कि वह इस बीमारी से ठीक हो जाएगा तो वह जरूर कामयाब होगा. लोगों को उनकी इच्छाशक्ति ही बीमारी से ठीक करती है. बीमारी का इलाज चल रहा है, डॉक्टर अपना काम कर रहे हैं. बस लोगों को मानसिक रूप से मजबूत रहना जरूरी है। मरीज का मनोबल उसे ठीक होने में बहुत मदद करता है.
लोग खुद हो रहे हैं जागरूक
इस दौरान लॉकडाउन बढ़ने पर उन्होंने कहा कि हमारे देश के लोग काफी जागरूक हैं, उन्हें इस बात का एहसास है कि अगर जल्दी लॉकडाउन खोल देंगे तो वायरस का संक्रमण और तेजी से फैलेगा. डॉक्टर, राज्य सरकारें सभी इसके पक्ष में हैं. लॉकडाउन बढ़ाना जरूर गया है लेकिन कई क्षेत्रों में ढील दी गई है। इसलिए जरूरी है कि इनका पालन अनुशासन के साथ किया जाए. खास बात यह कि इस बार राज्यों को काफी जिम्मेदारी दी गई है। अपने राज्यों में किस क्षेत्र को रेड ज़ोन बनाना है और किसे कंटेनमेंट ज़ोनबनाना है, कहां बस चलाना है कहां नहीं, यह सब राज्य सरकारें तय करेंगी. अब लोगों की इतनी ज़िम्मेदारी है कि वो मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग रखें, नियमित हैं डवॉश करें और फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कर लें.