Ladakh Border Row: भारत की चीन को दो टूक- LAC पर कोई भी एकतरफा बदलाव स्वीकार नहीं
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी ( Wang Yi) से मुलाकात की. इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को ''स्वीकार्य नहीं'' है.
नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने दुशांबे, तजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के अलग चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी ( Wang Yi) से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा तनाव को लेकर चर्चा की. इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को ''स्वीकार्य नहीं'' है. उन्होंने कहा कि LAC विवाद लंबा खींचने से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, कहा- उकसाने पर भारत हमेशा मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार.
विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया, ''दुशांबे में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर चीन के स्टेट काउंसलर एवं विदेश मंत्री वांग यी के साथ एक घंटे चली द्विपक्षीय वार्ता संपन्न हुई. इस दौरान पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा हुई.''
विदेश मंत्री का ट्वीट
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सैनिकों की पूरी तरह वापसी और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की आवश्कयता पर जोर दिया क्योंकि मौजूदा स्थिति को लंबा खींचना दोनों देशों के संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है.
विदेश मंत्रालय के अनुसार दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के एक सम्मेलन के इतर एक घंटे तक चली बैठक के दौरान, दोनों मंत्रियों ने जल्द ही अगले दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने पर सहमति जतायी.
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लम्बा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है. विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना 1988 से संबंधों के विकास का आधार रहा है.
मंत्रालय ने कहा कि इस बात पर भी सहमति बनी है कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित करना जारी रखेंगे और कोई भी पक्ष एकतरफा कार्रवाई नहीं करेगा, जिससे तनाव में वृद्धि हो.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि वार्ता के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लम्बा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह ''संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है.''
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना 1988 से संबंधों के विकास की नींव रहा है. उन्होंने कहा, ''पिछले साल यथास्थिति को बदलने के प्रयासों ने संबंधों को प्रभावित किया है. इस दौरान 1993 और 1996 के समझौतों के तहत की गईं प्रतिबद्धताओं अवहेलना हुई.''
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''इसलिये, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्ष पारस्परिक हितों को ध्यान में रखते हुए पूर्वी लद्दाख में एलएसी से संबंधित शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में काम करें. साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाए.''
एस जयशंकर ने चीन से दोटूक कहा कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं है. संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्ण शांति बहाली और समरसता को बरकरार रखना आवश्यक है.''
(इनपुट भाषा)