कुंभ 2019: 71 साल बाद कुंभ में बन रहा है ऐसा संयोग, 1948 में आखिरी बार बना था 'महोदय योग'
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत 15 जनवरी से हो रही है. मेले में देश और विदेश से करोड़ों लोग शामिल होंगे. ये अर्ध कुंभ है लेकिन मुहूर्त के हिसाब से देखा जाए तो सही मायने में महा कुंभ है...
प्रयागराज (Prayagraj) में कुंभ की शुरुआत 15 जनवरी से हो रही है. मेले में देश और विदेश से करोड़ों लोग शामिल होंगे. ये अर्ध कुंभ है लेकिन मुहूर्त के अनुसार देखा जाए तो सही मायने में महा कुंभ है. ज्योतिष के अनुसार इस बार कुंभ में जो योग बन रहा है वो 'महोदय योग' है. ऐसा योग 71 साल पहले 9 फरवरी 1948 में बना था. आइए आपको बताते हैं इस योग का महत्त्व
चार फरवरी को माघ महीने की अमावस्या तिथि है इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन श्रवण नक्षत्र, सभी कामों में सिद्धि और सोमवार होने से 'महोदय योग' बन रहा है. मौनी अमवस्या के दिन कुंभ का दूसरा शाही स्नान है. इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या कुंभ के शुरू होने की असली तिथि है. इस दिन कुंभ में स्नान कर पूजा- पाठ और दान करने से अन्य दिनों के मुकाबले कई गुना पुण्य मिलता हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैदिक कैलेंडर के माघ महीने में जिस साल अमावस्या के दिन गुरु वृश्चिक राशि में और मकर सूर्य राशि में प्रवेश करते हैं उस साल प्रयागराज में अर्ध कुंभ का आयोजन होता है. 4 फरवरी यानी मौनी अमावस्या के पूरे दिन दान-पुण्य का योग बना रहेगा. लेकिन दान स्नान और पूजा पाठ के बाद ही करना चाहिए तभी इसका लाभ मिलेगा.
आदिकाल से कुंभ में स्नान के बाद दान- पुण्य करने का चलन है. कुंभ मेले में सबसे प्राथमिक अनुष्ठान स्नान ही है. स्नान का पौराणिक महत्त्व है यह स्वर्ग और मुक्ति से जुड़ा है. स्नान के दिन श्रद्धालू सुबह तीन बजे से ही लाइन में लग जाते हैं. सभी साधुओं में नागा साधुओं को स्नान करने का सबसे पहले सौभाग्य मिलता है. स्नान के बाद नए और पवित्र कपड़े पहनकर घाट पर पूजा की जाती है.