नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव (Kulbushan Jadhav) मामले में इमरान सरकार के दावे को भारत ने खारिज किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा की कुलभूषण जाधव ने मजूबर होकर पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार किया होगा. यह पाकिस्तान द्वारा पिछले चार वर्षों से चल रहे फरेब का एक हिस्सा है. पाकिस्तान ने आज दावा किया कि कुलभूषण जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है और उन्होंने अपनी लंबित दया याचिका के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को नाटकीय ट्रायल के जरिए फांसी की सजा सुनाई गई है. वह पाकिस्तान की सेना के कब्जे में है. पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार करने के लिए उन्हें स्पष्ट रूप से मजबूर किया गया है. भारत जाधव तक भारत ने निर्बाध पहुंच की मांग कर रहा है, जिससे क़ानूनी उपायों पर चर्चा की जा सके. कुलभूषण जाधव मामले की समीक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान उठा रहा है कदम: विदेश कार्यालय
Kulbushan Jadhav has been sentenced to execution through a farcical trial. He remains under custody of Pakistan’s military. He has clearly been coerced to refuse to file a review in his case. India sought unimpeded access to Jadhav to discuss his remedies under the Ordinance: MEA
— ANI (@ANI) July 8, 2020
पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अहमद इरफान ने दावा किया कि 17 जून को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को उनकी सजा और सजा पर पुनर्विचार के लिए एक याचिका दायर करने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए कुलभूषण जाधव ने सजा और सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया. उधर, पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि पाकिस्तान सरकार ने जाधव को दूसरी कांसुलर एक्सेस की पेशकश की है.
पाकिस्तान का आरोप है कि जाधव एक वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारी हैं, जिन्होंने गिरफ्तारी के समय शांति भंग करने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया. जाधव को अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.
इसके बाद भारत ने जाधव तक कांसुलर या राजनयिक पहुंच से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद आईसीजे ने पिछले साल जुलाई में भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी और सजा पर पुनर्विचार करने के लिए कहा.