नई दिल्ली: साल 2016 से पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट (आईसीजे) आज शाम 6:30 बजे अपना फैसला सुनाएगा. इस मामलें की सुनाई के लिए हेग स्थित आईसीजे (ICJ) में दोनों देशों के वकील पहुंच चुके हैं. सुनवाई में भारत का पक्ष एडवोकेट हरीश साल्वे और पाकिस्तान का पक्ष अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान रख रहे है. कुलभूषण को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने जासूसी का आरोप लगाकर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई. इस बीच सबके मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि अगर पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला मानने से इनकार कर दिया तो आगे क्या होगा ?
पाकिस्तान पोल खुलने के डर से जाधव को राजनयिक सम्पर्क (कॉन्सुलर एक्सेस) की सुविधा भी नहीं मुहैया करवा रहा है. जिसके बाद भारत इस मामले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचा और फिर पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई.
इंटरनेशनल कोर्ट की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के मकसद से की गई थी. कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई 16 जजों की बेंच कर रही है, जिसकी अध्यक्षता आईसीजे चीफ अब्दुलकावि अहमद यूसुफ कर रहे हैं. 16 जजों की टीम में भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी और पाकिस्तान के तस्सदुक हुसैन जिलानी शामिल हैं.
भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बिश्वजीत भट्टाचार्य (Bishwajeet Bhattacharya) के मुताबिक अगर पाकिस्तान कुलभूषण जाधव पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को नहीं सुनता है तो भी भारत के पास कई विकल्प मौजूद हैं.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) आईसीजे के फैसलों को लागू करवाने के लिए अधिकृत है. इसलिए आईसीजे के आदेश की अवहेलना करने वालों पर यूएनएससी (UNSC) सैन्य और गैर-सैन्य कार्रवाई सहित अन्य कठोर कदम उठा सकता है. यूएनएससी की शक्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों द्वारा परिचालित है. जिसका सदस्य चीन भी है. इसलिए अगर पाकिस्तान के पक्ष में फैसला नहीं आया तो अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के फैसले के खिलाफ चीन आवाज उठा सकता है. हालांकि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को घर लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा.