कोलकता: पिछले महीने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में अब गंभीर मोड़ आ गया है. सोमवार को वरिष्ठ डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है. उन्होंने इस जघन्य अपराध की कड़ी निंदा करते हुए इसे पश्चिम बंगाल सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच के गठजोड़ का नतीजा बताया. डॉक्टरों ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "यह अपराध पश्चिम बंगाल सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ का परिणाम है. इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है."
इस बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने विरोध कर रहे डॉक्टरों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. हालांकि प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने फिर से इस बैठक को लाइव-स्ट्रीम करने की मांग दोहराई.
उनका कहना है कि "हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री के साथ बैठक हो, लेकिन यह बैठक पूरी तरह पारदर्शी माहौल में होनी चाहिए. जूनियर डॉक्टरों को भी भरोसे में लिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी बात सही तरीके से रख सकें. बैठक का दस्तावेजीकरण होना चाहिए, चाहे वह वीडियो हो या लाइव स्ट्रीमिंग. सरकार को लाइव स्ट्रीमिंग से डर क्यों है?"
डॉक्टरों का कहना है कि हमारी मुख्य मांग समय पर न्याय की है. "हम चाहते हैं कि न केवल अपराधियों बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो जिन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और जांच प्रक्रिया को गुमराह किया."
कोलकाता रेप-मर्डर केस
9 अगस्त को, एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में मिला था. इस घटना के अगले दिन, कोलकाता पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संजय रॉय को मुख्य आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया. सीसीटीवी में उसे घटना के समय बिल्डिंग में प्रवेश करते देखा गया और उसके ब्लूटूथ हेडफोन भी घटना स्थल पर मिले थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रारंभिक जांच के अनुसार, पीड़िता के साथ बर्बरता की गई और उसका यौन शोषण हुआ.
CBI जांच और आरोपी पर कार्रवाई
CBI ने इस मामले में संजय रॉय, आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और चार डॉक्टरों पर पॉलीग्राफ टेस्ट भी किया. हालांकि, जब जांच एजेंसी ने संजय रॉय का नार्को-एनालिसिस टेस्ट करने की अनुमति मांगी, तो कोलकाता की अदालत ने आरोपी की सहमति न होने के कारण अनुमति नहीं दी.