कोलकाता पुलिस ने फर्जी कोविड टीकाकरण शिविर मामले में तीन और लोगों को गिरफ्तार किया

कोलकाता में संदिग्ध कोविड टीकाकरण शिविर के संबंध में फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब के तीन और सहयोगियों को शनिवार सुबह गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बताया. अधिकारी ने बताया कि देब के दो सहयोगी कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के नाम से आरोपी द्वारा खोले गये बैंक खाते के हस्ताक्षरकर्ता थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

कोलकाता, 26 जून : कोलकाता (Kolkata) में संदिग्ध कोविड टीकाकरण शिविर के संबंध में फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब के तीन और सहयोगियों को शनिवार सुबह गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बताया. अधिकारी ने बताया कि देब के दो सहयोगी कोलकाता नगर निगम (KMC) के नाम से आरोपी द्वारा खोले गये बैंक खाते के हस्ताक्षरकर्ता थे. देब के मातहत काम करने वाला तीसरा आरोपी शिविर में काफी सक्रियता से हिस्सा ले रहा था, जहां कई लोगों को नकली टीके की खुराक दी गयी. अधिकारी ने बताया, ‘‘इनमें से एक सॉल्ट लेक का निवासी है जबकि दूसरा बारासात का रहने वाला है. दोनों को गिरफ्तारी से पहले पूछताछ के लिए लाया गया था.’’ उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति तालतला का रहने वाला है.

शिविर के आयोजन में ‘‘बेहद सक्रियता से’’ मदद करते पाये जाने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस बीच कसबा पुलिस थाना में देब के खिलाफ तीन और मामले दर्ज किये हैं. उन्होंने बताया, ‘‘एक निजी कंपनी ने 172 कर्मचारियों के टीकाकरण के लिए देब को करीब 1.2 लाख रुपये देने का दावा करते हुए कसबा पुलिस थाना में एक शिकायत दर्ज करायी है. दूसरी शिकायत एक ठेकेदार ने दर्ज करायी है जिसने एक स्टेडियम के निर्माण को लेकर निविदा के लिए उसे 90 लाख रुपये देने का दावा किया है.’’ उन्होंने बताया, ‘‘तीसरी शिकायत एक दवा कंपनी ने दर्ज करायी है जिसने निविदा के लिए देब को चार लाख रुपये भुगतान करने का दावा किया है.’’ यह भी पढ़ें : Fact Check: ऐसे पहचाना जा सकता है 500 का असली और नकली नोट? जानें RBI का कहना क्या है

खुद को आईएएस अधिकारी बताकर कसबा इलाके में कोविड-19 टीकाकरण शिविर आयोजित करने के आरोप में देब को बुधवार को गिरफ्तार किया गया. इस शिविर में तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने टीके की खुराक ली थी. चक्रवर्ती को टीकाकरण की प्रक्रिया पर उस समय शक हुआ जब उन्हें एसएमएस नहीं आया, जो आम तौर पर टीके की खुराक लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर आता है. इसके बाद चक्रवर्ती ने इसकी शिकायत पुलिस में की. जांच में खुलासा हुआ कि देब ने उत्तर कोलकाता के एमहर्स्ट स्ट्रीट इलाके में एक कॉलेज में ऐसा ही टीकाकरण शिविर लगाया था, जिसमें कई शिक्षकों और छात्रों ने टीके की खुराक ली थी.

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