Kolkata Doctor Rape Murder: आरजी कर के पूर्व प्रिंसीपल संदीप घोष की बढ़ी मुश्किलें, बंगाल मेडिकल काउंसिल ने मेडिकल रजिस्ट्रेशन किया रद्द
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (WBMC) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (WBMC) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है. डॉ. घोष को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अस्पताल में लेडी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया है. सीबीआई की हिरासत में मौजूद संदीप घोष का नाम पश्चिम बंगाल नगर निगम द्वारा तैयार रजिस्टर्ड डॉक्टरों की सूची से भी हटा दिया गया है. बंगाल मेडिकल एक्ट, 1914 के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.
क्या है मामला?
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार का मामला सामने आया था. इस घटना ने कोलकाता के साथ पूरे देश को हिला कर रख दिया. CBI की जांच के अनुसार, डॉ. संदीप घोष और पुलिस अधिकारी अभिजीत मोंडल ने घटना के सबूतों के साथ छेड़छाड़ की. उन्होंने पीड़ित डॉक्टर के शव का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करवा दिया, जबकि परिवार ने दूसरी बार पोस्टमॉर्टम की मांग की थी.
डॉ. घोष को 2 सितंबर को पुलिस अधिकारी मोंडल के साथ गिरफ्तार किया गया. CBI का दावा है कि घोष जानबूझकर घटना स्थल से अनुपस्थित थे, और उन्होंने FIR दर्ज कराने में देरी की.
मेडिकल पंजीकरण रद्द क्यों हुआ?
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने 7 सितंबर को डॉ. घोष को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे पूछा गया कि उनका मेडिकल पंजीकरण क्यों न रद्द किया जाए. तीन दिनों के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए गए, लेकिन डॉ. घोष ने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद, WBMC ने 1914 के बंगाल मेडिकल एक्ट के तहत उनके पंजीकरण को रद्द कर दिया.
भारतीय मेडिकल संघ (IMA) की प्रतिक्रिया
IMA की बंगाल शाखा ने पहले ही WBMC से डॉ. घोष का पंजीकरण रद्द करने का आग्रह किया था. IMA ने WBMC के अध्यक्ष और TMC के विधायक सुदीप्तो रॉय से अपील की थी कि वे डॉ. घोष के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को एक तरफ रखकर उचित कार्रवाई करें.
डॉ. संदीप घोष और पुलिस अधिकारी अभिजीत मोंडल को सबूतों के साथ छेड़छाड़ और प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में देरी के लिए गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है.