क्यों जरूरी नहीं है हल्के लक्षण वालों का कोरोना टेस्ट
कोरोना के मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के नए दिशा-निर्देश आने के बाद से लोगों में संशय बना हुआ है कि हल्के लक्षण होने पर टेस्ट कराना जरूरी है या नहीं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो हल्के लक्षण होने पर भयभीत होने की जरूरत नहीं है. वहीं 0.39% मरीज वेंटीलेटर पर और 2.7% ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
कोरोना (Coronavirus) के मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के नए दिशा-निर्देश आने के बाद से लोगों में संशय बना हुआ है कि हल्के लक्षण होने पर टेस्ट कराना जरूरी है या नहीं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो हल्के लक्षण होने पर भयभीत होने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीजों को दस दिन की निगरानी में रख जाता है और कोई अन्य लक्षण नहीं आने पर डिस्चार्ज कर दिया जाता है. नई दिल्ली (Delhi) के सफदरजंग अस्पताल के डॉ. नितेश ने आकाशवाणी से बातचीत में बताया कि हाल ही में केंद्र सरकार ने वायरस से संक्रमित मरीजों को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है जिसमें हल्के लक्षण वाले लोगों को 10 दिन में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा और तबियत में सुधार होने पर टेस्ट की भी जरूरत नहीं है.
डॉ. नितेश ने विस्तार से बताया कि करीब तीन महीने से कोरोना वायरस के संक्रमितों का इलाज हो चल रहा है. इसमें कई रिपोर्ट सामने आई हैं, जिनके मुताबिक ज्यादातर लोगों में बहुत हल्के लक्षण जैसे गले में दर्द, खांसी, आदि आती है. ऐसे मामलों में पहले 10 दिन तक मरीज की निगरानी की जाती है. अगर 10 दिन के भीतर पहले जितना बुखार नहीं आता, तो उन्हें घर भेज दिया जाता है. क्योंकि ऐसे लोग खुद ही ठीक हो जा रहे हैं और लक्षण भी नहीं नजर आते.
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इसलिए टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती. वहीं जिनमें बुखार आता रहता है और सभी लक्षण नजर आते हैं तो जब तक उनका टेस्ट नेगेटिव नहीं आ जाता तब तक अस्पताल में उनका उपचार चलता है. हांलाकि डिस्चार्ज हो कर घर जाने वाले को भी डॉक्टर के परामर्श की पूरा पालन करना है.
केवल 0.39% मरीज वेंटीलेटर पर
डॉ. नितेष ने कहा कि हमारे देश में बहुत कम मरीज हैं जो गंभीर रूप से संक्रमित हैं. केवल एक प्रतिशत मरीजों को ही वेंटिलेटर की जरूरत है. यही वजह है कि कई राज्यों में केस आने बहुत कम हो गए हैं. यहां तक की 14 मई को केंद्र शासित प्रदेशों समेत 14 राज्यों में एक भी केस नहीं आया है. इसकी वजह सरकार की ओर से की जा रही व्यापक तैयारियां हैं.
साथ ही लोगों का सहयोग भी है. लॉकडाउन में तमाम नियम बनाए गए, तैयारी की गई, यह इसी का नतीजा है. हांलाकि भविष्य में अगर संख्या बढ़ती है तो उससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोविड अस्पातलों और लैब की संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है.
आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 15 मई तक संक्रमितों की कुल संख्या 81970 है, जिनमें से 27919 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. वहीं 2649 लोगों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को उन्होंने बताया कि डबलिंग रेट भी धीमा होकर 13.9 दिन हो गया है. बीते 14 दिनों में डबलिंग रेट 11.1 था.
अभी तक हमारे देश में कोरोना से मृत्यु की दर 3.2% है, जबकि रिकवरी रेट 33.6%. गुरुवार के आंकड़ों के मुताबिक कुल एक्टिव मरीजों के 3.0% प्रतिशत मरीज ही आईसीयू में हैं. वहीं 0.39% मरीज वेंटीलेटर पर और 2.7% ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.