इसरो जासूसी कांड में बेदाग बरी वैज्ञानिक Nambi Narayanan को मिला 1.30 करोड़ का मुआवजा, लोगों ने गद्दार तक कहा था
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिन्हें केरल सरकार ने मंगलवार को ढाई दशक पुराने जासूसी मामले के निपटारे के लिए 1.30 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया. पिछले साल दिसंबर में ही केरल राज्य कैबिनेट ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी थी.
तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार की तरफ से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन(Former ISRO Scientist Nambi Narayanan) को मंगलवार को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा सौंपा गया. नंबी नारायणन को 1994 में जासूसी के झूठे मामले में फंसा दिया गया था. यह मुआवजा 78 वर्षीय नारायणन द्वारा अपनी अवैध गिरफ्तारी और उत्पीड़न की क्षतिपूर्ति के लिए यहां एक अदालत में राशि बढ़ाने के लिए दायर किए गए मामले को निपटाने के क्रम में सौंपा गया. केरल सरकार द्वारा मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नांबी नारायणन ने कहा कि मैं खुश हूं. यह केवल मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है. मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी. राज्य पुलिस (State Police) ने उन्हें इस मामले में फंसाया था.
जासूसी के आरोप से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा बरी किए गए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को पद्म भूषण (2019) से भी नवाजा गया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस केस में वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन को केरल पुलिस द्वारा बेवजह गिरफ्तार किया गया था. उन्हें (नारायणन) परेशान किया गया और मानसिक प्रताड़ना दी गई. शीर्ष अदालत ने इसरो वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि नांबी नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे उचित मुआवजे के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं. वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें अलग से 10 लाख रुपये का मुआवजा सौंपे जाने की सिफारिश की थी. यह भी पढ़े: SC ने दिया ISRO के पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश, 1994 में जासूसी के आरोप में किया गया था अरेस्ट
वर्ष 1994 में जासूसी के झूठे मामले में आरोप लगाया गया था कि नारायणन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज विदेशी देशों को हस्तांतरित करने में शामिल हैं. नारायणन को दो महीने जेल में रहना पड़ा था. बाद में, सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या हैं. सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी. नारायणन के साथ दो वैज्ञानिकों डी शशिकुमारन और डेप्युटी डायरेक्टर के चंद्रशेखर को भी गिरफ्तार किया गया था.
सीबीआई जांच में भी कुछ नहीं मिला
मामले की जांच देश की सबसे बड़ी अदालत सीबीआई के पास भी गया. जांच में सीबीआई को पूरा मामला झूठा अलग. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी के आरोप से बरी कर दिया था..नारायणन और पांच अन्य लोगों के ख़िलाफ़ इस तरह की साज़िश क्यों रची गई, यह आज भी रहस्य बना हुआ है. (इनपुट भाष)