Karnataka: बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल की बड़ी लापरवाही, डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान महिला की रीड की हड्डी में छोड़ी सर्जिकल सुई, उपभोक्ता फ़ोरम से 20 साल बाद मिला अब न्याय

बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही का 20 साल बाद सजा मिली है. बेंगलुरु में रहने वाली पद्मावती नाम की महिला का 2004 में दीपक अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के चलते सर्जिकल सुई छोड़ दी. अब बदले में अस्पताल को पांच लाख रुपये महिला को देने होंगे.

Hospital Representative Image (Photo Credit- Pixabay

बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही का 20 साल बाद सजा मिली है. बेंगलुरु में रहने वाली पद्मावती  नाम की महिला का 2004 में दीपक अस्पताल  में ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के चलते 3.2 सेंटीमीटर की सर्जिकल सुई छोड़ दी. ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने उसे कुछ दिन अस्पताल में रखने के बाद छोड़ दिया. लेकिन उसके शरीर में लगातर दर्द होने के बाद वह अस्पताल से संपर्क किया. लेकिन डॉक्टरों ने सलाह दी कि ऑपरेशन के थोड़े दिन तक दर्द रहता है. बाद में ठीक हो जाता है. लेकिन महिला के शरीर में लगातार दर्द होता रहा.

जानकारी के अनुसार महिला कुछ साल तक दर्द से तडपती रही. दर्द से परेशान महिला के परिजन जब शरीर का सीटी स्कैन करवाया तो उनके होश उड़ गए. महिला के रीड की हड्डी में सर्जिकल सुई पाई गई. जिसके बाद महिला का फिर से ऑपरेशन हुआ और उसके शरीर से वह सर्जिकल सुई निकाली गई. यह भी पढ़े: Mumbai: लापरवाही की हद! अस्पताल में मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में हुआ गर्भवती महिला का प्रसव, मां-बच्चे की मौत

अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर महिला कर्नाटक उपभोक्ता फोरम  पहुंची. जहां पर कई साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने डॉक्टरों के लापरवाही के लिए लापरवाही के लिए फटकार लगाई है.वहीं कर्नाटक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस मामले में अस्पताल और दो डॉक्टरों को जयनगर निवासी पीड़ित पद्मावती को मुकदमे के खर्च के रूप में पांच रुपये देने का भी निर्देश दिया है. इसके अलावा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को भी पांच लाख रुपया देने का निर्देश दिया है. क्योंकि कंपनी ने बतौर अस्पताल खर्च कवर करने वाली पॉलिसी जारी की थी.

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