Karnataka: नन्ही सी गौरैया की मौत पर गांव वालों को लगा सदमा, इंसान की तरह किया उसका अंतिम संस्कार
कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले के शिदलाघट्टा तालुक के बसवपटना में एक गौरैया की मौत पर लोगों को गहरा सदमा लगा है. गौरैया की मौत पर ग्रामीण एक स्थान पर इकट्ठा हुए और उन्होंने गौरैया के निधन पर शोक जाहिर किया. इसके साथ ही इंसान की तरह उसका अंतिम संस्कार भी किया.
Karnataka: इंसानों और पक्षियों के बीच भावनात्मक जुड़ाव अक्सर देखने को मिलता है. कई बार इंसानों की पशु-पक्षियों से भावनाएं इस कदर जुड़ जाती हैं कि उनके दूर जाने से या फिर उनके निधन पर इंसानों को काफी दुख होता है. एक ऐसी ही घटना कर्नाटक (Karnataka) के चिक्कबल्लापुर जिले (Chikkaballapur District) से सामने आई है, जहां शिदलाघट्टा तालुक (Shidlaghatta Taluk) के बसवपटना (Basavapatna) में एक गौरैया की मौत पर लोगों को गहरा सदमा लगा है. गौरैया (Sparrow) की मौत पर ग्रामीण एक स्थान पर इकट्ठा हुए और उन्होंने गौरैया के निधन पर शोक जाहिर किया. यह गौरैया गांव के लोगों के घर जाती थी और लोग उससे काफी हद तक जुड़ गए थे. ऐसे में उसके निधन से हर कोई दुखी हो गया.
बताया जाता है कि 26 जनवरी 2022 को इस गौरैया की मौत हो गई थी और चिड़िया को मृत अवस्था में देखकर ग्रामीण सदमें में आ गए. गौरैया की मौत के बाद ग्रामीणों ने इंसानों की तरह उसका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया और फिर उसे दफनाया गया. दफनाए जाने के बाद उसकी याद में गांव वालों ने एक सुंदर मकबरा भी बनवाया. यह भी पढ़ें: पंख फैलाकर उल्लू ने भरी उड़ान, ऊंचाई पर जाने के बजाय जमीन पर बिछी बर्फ की सफेद चादर पर गिरा धड़ाम (Watch Viral Video)
गौरैया के निधन के बाद 11वें दिन सभी लोगों ने आवश्यक विधि को भी संपन्न कराया. सभी ने गौरैया को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उसकी याद में पूरे गांव को मांसाहारी भोजन कराया. गांव के बुजुर्गों ने यह जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाई. गौरैया की याद में एक पंडाल बनाया गया था और उस पर गौरैया की तस्वीर वाले बैनर लगाए गए थे.
इस गांव की निवासी सविता रायन्ना का कहना है कि यह चिड़िया हर सुबह उनके बरामदे में आती थी, जिससे उन्हें पता चलता था कि सुबह के 8 बज चुके हैं. वो उसके लिए मुट्ठीभर अनाज रखती थीं और चिड़िया अनाज के दाने लेकर उड़ जाती थी. महिला के घर जो रिश्तेदार आते थे, उन्हें भी इस गौरैया से प्यार हो गया था. यहां तक कि उनके बच्चे भी हर रोज गौरैया के आने का इंतजार करते थे. वो हर रोज गांव वालों की सुबह को अपनी मौजूदगी से बेहतर बनाती थी, लेकन अब वो बहुत याद आएगी.