मैसूर, कर्नाटक: विजयादशमी के अवसर पर मैसूर महल में वज्रमुष्टि कलागा (कुश्ती) का आयोजन किया गया. यह प्राचीन परंपरा, जिसे वज्रमुष्टि के नाम से जाना जाता है, मैसूर की रॉयल फैमिली में एक पोषित परंपरा है, जो महाभारत के समय से कृष्ण के समय तक फैली हुई है.
वज्रमुष्टि का महत्व
वज्रमुष्टि, जिसे अक्सर भारतीय कुश्ती की जड़ों में से एक माना जाता है, का अर्थ होता है 'वज्र' और 'मुष्टि'. वज्र का अर्थ है शक्तिशाली और मुष्टि का अर्थ है हाथ या कुश्ती. यह कुश्ती का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें ताकत, कौशल और रणनीति का अद्भुत मेल होता है. यह प्रथा न केवल शारीरिक फिटनेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक मजबूती और अनुशासन को भी बढ़ावा देती है.
#WATCH | Karnataka: Vajramushti Kalaga (wrestling) organised at Mysore Palace, on the occasion of #VijayaDasami
This ancient practice, referred to as Vajramushti, has been a cherished tradition within the royal family of Mysore, tracing its roots back to the time of Krishna in… pic.twitter.com/jJYvb23pAt
— ANI (@ANI) October 12, 2024
आयोजन का विशेष आकर्षण
मैसूर महल में इस आयोजन का दृश्य अत्यंत आकर्षक था. कई कुश्तियां और प्रदर्शन हुए, जिसमें स्थानीय और दूर-दूर के पहलवानों ने भाग लिया. दर्शकों ने उत्साह से अपने पसंदीदा पहलवानों का समर्थन किया. कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिसमें संगीत, नृत्य और पारंपरिक भोजन का आनंद लिया गया.
इस कार्यक्रम का आयोजन विजयादशमी के अवसर पर किया गया, जो कि विजय और शक्ति का प्रतीक है. इस दिन देवी दुर्गा की आराधना की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं. वज्रमुष्टि कलागा के माध्यम से, आयोजनकर्ताओं ने युवाओं को प्राचीन भारतीय खेलों की महत्वता समझाने का प्रयास किया है और उन्हें अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है.
वज्रमुष्टि कलागा जैसे आयोजन न केवल प्राचीन परंपराओं को जीवित रखते हैं, बल्कि समाज को एकजुट करने और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का भी कार्य करते हैं. आयोजकों का मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से आने वाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और खेलों के प्रति जागरूक किया जा सकेगा.