Joshimath Sinking: जोशीमठ आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित, आईटीबीपी ने खाली की कालोनी
Joshimath Sinking (Photo : ANI)

चमोली/जोशीमठ, 8 जनवरी : जोशीमठ (Joshimath) शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है. जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाया गया. दीर्घकालिक समाधान के लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल व जियोफिजिकल अध्ययन कराया जाएगा. जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं, वहां भवन निर्माण के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी. साथ ही हाइड्रोलाजिकल अध्ययन भी कराने का निर्णय लिया गया है.

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है, सचिव आपदा प्रबंधन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने बताया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी, गौचर, कोटीकालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए गए हैं. भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण को इन क्षेत्रों का जियो अध्ययन करने के लिए लिखा गया है. प्री-फैब्रिकेट घरों के निर्माण के ²ष्टिगत केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है. यह भी पढ़ें : Joshimath sinking: जोशीमठ मुद्दे पर हाई कोर्ट में याचिका दायर, समिति गठित करने की मांग

वहीं दूसरी ओर जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते कॉलोनी खाली कराई गई है. जोशीमठ में भू धंसाव के चलते सेना ने किराए के घर में रहने वाले अपने जवानों को अपने कैंपों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. जोशीमठ में भारतीय सेना की बिग्रेड और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है.

जोशीमठ भारत तिब्बत सीमा (चीन के अधिकार क्षेत्र) का अंतिम शहर है. यहां से नीति और माणा घाटियां भारत तिब्बत सीमा से जुड़ती हैं. इस बटालियन के कई जवान जोशीमठ में किराए के मकान में रहते हैं. शहर के मकानों में जिस तरह गहरी दरारें आ रही हैं, वह किसी के लिए सुरक्षित नहीं हैं. किसी अनहोनी से बचने के लिए सेना ने जवानों को ऐसे किराए के मकान तत्काल खाली करने को कहा है जहां दरारें आ रही है.

सचिव डॉ सिन्हा ने बताया कि सेना, आइटीबीपी, एनटीपीसी व जेपी कंपनी के परिसर के कुछेक हिस्से भी भूधंसाव वाले क्षेत्र की जद में है. सेना ने अपने आवासीय परिसर को खाली कर इसे अपने ही परिसर में सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया है. आइटीबीपी भी अपनी कॉलोनी खाली कर रही है, जबकि जेपी कंपनी ने भी अपने कुछ आवास खाली कर दिए हैं. एनटीपीसी भी इसकी तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में सेना, आइटीबीपी के पास पर्याप्त जगह है, जो सुरक्षित है. भू-धंसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के कैंप की ओर भी बढ़ना शुरू हो गया है. कैंप की सड़क धंसने के साथ ही सीमा को जोड़ने वाला मलारी हाईवे धंस गया है. ऐसे में सेना को आवागमन व रसद की दिक्कत हो सकती है.

जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें पड़ने का सिलसिला तेज होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जोशीमठ की स्थिति का दोबारा अध्ययन करने के लिए सचिव आपदा प्रबंधन डा. सिन्हा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की टीम गठित की गई. टीम ने गुरुवार से जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करने के साथ ही स्थानीय निवासियों से बातचीत की. शनिवार देर शाम टीम ने वापस लौटकर रिपोर्ट शासन को सौंपी. सचिव आपदा प्रबंधन डा. सिन्हा के अनुसार रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर एहतियातन कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.