चमोली: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath Sinking) में स्थिति लगातार बद्तर होती जा रही है. इस शहर के अस्तिव पर खतरा है. जिस रफ्तार से जोशीमठ में भू-धंसाव हो रहा है, घरो और सड़कों पर दरारें आ रही हैं, उसे देखकर हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या जोशीमठ पूरा डूब जाएगा? जोशीमठ को लेकर सारा देश चिंतित है. इस बीच इसरो की एक फोटो रिपोर्ट ने सबकी टेंशन बढ़ा दी है. Joshimath Sinking: सेना की कई इमारतों में दारारें, औली शिफ्ट हो सकते हैं जवान.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें और जमीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि जोशीमठ शहर पूरा डूब सकता है. इसरो के हैदराबाद स्थित नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जोशीमठ के डूबते क्षेत्रों की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं.
तेज रफ्तार से जोशीमठ में धंस रही है जमीन
सैटेलाइट की तस्वीरों से पता चलता है कि जोशीमठ में कैसे जमीन धंसने का सिलसिला जारी है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि जोशीमठ सिर्फ 12 दिनों में ही 5.4 सेंटीमीटर तक धंस गया. यह रिपोर्ट बेहद चिंताजंक है और उन लोगों को दिल तोड़ने वाली है जिन्हें उम्मीद है कि जोशीमठ बच जाएगा.
आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर भी धंस जाएगा?
इन तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिंह मंदिर समेत पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है. इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
दिसंबर से जनवरी के बीच हुआ खतरनाक भू धंसाव
ISRO ने तस्वीरों को जारी कर बताया, 27 दिसंबर 2022 और 8 जनवरी 2023 के बीच 5.4 सेंटीमीटर के भू धंसाव को रिकॉर्ड किया गया है. अप्रैल 2022 और नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में 9 सेंटीमीटर धंसाव देखा गुआ. एनएसआरसी ने कहा कि पिछले सप्ताह दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह के बीच तेजी से धंसने की घटना शुरू हुई थी.
जोशीमठ में स्थानीय लोगों का विस्थापन जारी
गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ का दौरा किया और नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना की. सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ को हर हाल में बचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सबसे पहले लोगों की सुरक्षा है और हम इसके लिए काम कर रहे हैं.