JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर चलेगा देशद्रोह का केस, दिल्ली सरकार ने दी मंजूरी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले मे कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़ गई है. दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया और दो अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी है.
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले मे कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की मुश्किलें बढ़ गई है. दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को जेएनयू छात्र संघ (JNSU) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया और दो अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी है. उधर, कन्हैया कुमार ने केस चलाने की मंजूरी देने के लिए केजरीवाल सरकार पर तंज कसते हुए शुक्रिया कहा है. साथ ही मांग की है कि यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए, जिससे सच सबके सामने आ जाए.
कन्हैया कुमार पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) कैंपस के अंदर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ वर्ष 2016 के देशद्रोह मामले को लेकर समयबद्ध अभियोजन को मंजूरी देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. बिहार में कन्हैया कुमार की जनसभा में उछाली चप्पल, समर्थकों ने की पिटाई
यह मामला दिल्ली सरकार के पास पिछले एक साल से अधिक समय से अटका पड़ा था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना था कि इस मामले पर निर्णय लेना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, फिर भी वह इस पर जल्द निर्णय के लिए विधि विभाग (Law Department) से कहेंगे.
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाए जाने के कथित मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई है. यह आरोप-पत्र घटना के तीन साल बाद एक साल पहले जनवरी 2019 में दायर की गई थी. तब दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि जब तक दिल्ली सरकार आरोप-पत्र दायर करने की मंजूरी नहीं देती, तब तक हम इस पर संज्ञान नहीं लेंगे.
दरअसल, देशद्रोह के मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 196 के तहत जब तक राज्य सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक कोई कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकती है. इसलिए कन्हैया कुमार के खिलाफ चलाए जा रहे देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य हो गया था. अगर दिल्ली सरकार अनुमति नहीं देती तो देशद्रोह की धारा खुद ही निरस्त हो जाती.