J&K: आतंकियों ने घर-घर जाकर मांगा पानी और फिर कर दी फायरिंग, पढ़ें कठुआ हमले की पूरी कहानी
दोनों आतंकी पानी मांगने के लिए घर-घर गए थे, लेकिन गांव वालों को उन पर शक हुआ. इसलिए उन्होंने घरों के दरवाजे बंद कर दिए और शोर मचाया. गांव वालों के शोर से घबराकर आतंकियों ने फायरिंग भी की.
कठुआ: जम्मू कश्मीर के कठुआ में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया. हालांकि मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान भी शहीद हो गया. जानकारी के मुताबिक दोनों आतंकी पानी मांगने के लिए घर-घर गए थे, लेकिन गांव वालों को उन पर शक हुआ. इसलिए उन्होंने घरों के दरवाजे बंद कर दिए और शोर मचाया. गांव वालों के शोर से घबराकर आतंकियों ने फायरिंग भी की. आतंकियों की सूचना मिलते ही एसएचओ हीरानगर तथा एसडीपीओ मौके पर पहुंचे जहां आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई. New Army Chief: लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी होंगे नए सेना प्रमुख, मनोज पांडे की लेंगे जगह.
अगर आतंकवादियों ने गांववालों से पानी नहीं मांगा होता तो इस आतंकी हमले में बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हो सकते थे. जम्मू जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन ने बताया कि मंगलवार रात 8 बजे दो आतंकवादी गांव में घुसे थे. उन्होंने पानी मांगने के लिए एक घर का दरवाजा खटखटाया. घर के लोग डर गए और उन्होंने पुलिस को सूचना दी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक बयान में कहा, "उन्होंने कुछ घरों से पानी मांगा, जिस पर ग्रामीणों को संदेह हुआ और उन्होंने दरवाजे बंद कर दिए तथा कुछ लोगों ने शोर मचाया. आतंकवादी घबरा गए और उन्होंने हवा में अंधाधुंध गोलीबारी की तथा पास से गुजर रहे एक ग्रामीण पर भी गोलियां चलाईं."
अधिकारियों के अनुसार, सैदा सुखल गांव में दो आतंकवादियों को देखे जाने के बाद मंगलवार रात को शुरू हुए अभियान के दौरान दो वरिष्ठ अधिकारी सुरक्षित बच निकले. हालांकि उनके वाहनों पर गोलियां लगीं.
अभियान के दौरान, जम्मू-सांबा-कठुआ रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक सुनील गुप्ता और कठुआ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनायत अली चौधरी के सरकारी वाहनों पर कई गोलियां लगीं, लेकिन अधिकारी सुरक्षित बच गए. पुलिस को देखकर एक आतंकवादी ने टीम पर ग्रेनेड फेंकने की कोशिश की, लेकिन वह तुरंत मारा गया.
नागरिकों की सूझबूझ के चलते बच गई कई जानें
ग्रामीण अगर सूझबूझ नहीं दिखाते तो यह आतंकी बेहद विनाशकारी हो सकता था. एक प्रत्यक्षदर्शी सुरिंदर ने कहा कि उसने गांव में आतंकवादियों के बारे में अलार्म बजाया. शख्स ने बताया कि "कई बच्चे खेल रहे थे, और लोग बाहर घूम रहे थे. वे आसानी से 15 से 20 लोगों को मार सकते थे, जिनमें ज़्यादातर बच्चे थे. लोग शाम को सत्संग के लिए जा रहे थे. यह विनाशकारी हो सकता था."
शख्स ने बताया, "शाम के करीब 7:30 से 7:45 बजे का समय था. मैं अपनी बाइक पर था, तभी एक बच्चे ने मुझे गांव में दो हथियारबंद युवकों के बारे में बताया. मैंने उन्हें काले कपड़े पहने और एके राइफलों के साथ देखा, जो मुझे अपने पास बुला रहे थे. मुझे संदेह हुआ कि वे आतंकवादी हैं और मैंने गांव वालों को चेतावनी दी, जिससे वे घर भाग गए. दुकानें बंद हो गईं और वाहन रुक गए."
तीन दिन में तीन आतंकी हमले
ये तीन दिन में इस तरह का तीसरा हमला है. रियासी जिले में रविवार शाम आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर गोलीबारी की, जिससे बस खाई में जा गिरी. आतंकियों की फायरिंग और बस के खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 41 अन्य घायल हुए हैं.
डोडा में आतंकियों ने सेना के अस्थाई ऑपरेटिंग बेस पर गोलीबारी की, जिसके बाद सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई.