जम्मू, 11 जुलाई: जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के बंद होने के कारण स्थगित की गई अमरनाथ यात्रा तीन दिन बाद मंगलवार दोपहर बाद स्थानीय आधार शिविर से फिर से शुरू कर दी गई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बड़े पैमाने पर बारिश और भूस्खलन के बाद शुक्रवार को यात्रा स्थगित कर दी गई थी. रामबन खंड पर मरम्मत कार्य को लेकर राजमार्ग बंद कर दिया गया था.अधिकारियों ने बताया कि लगातार बारिश के कारण राजमार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसे मरम्मत के बाद खोल दिया गया है. Amarnath Yatra 2023: अब तक एक लाख से अधिक तीर्थयात्री अमरनाथ पहुंचे.
तीर्थयात्रियों के एक नये जत्थे को अमरनाथ गुफा मंदिर की आगे की यात्रा के लिए कश्मीर की ओर जाने की अनुमति दे दी गई है. तीर्थयात्री प्रतिदिन अमूमन तड़के 3.45 से 4.30 बजे के बीच जम्मू से रवाना होते हैं. यात्रा स्थगित होने के कारण करीब 15 हजार श्रद्धालु जम्मू और अन्य स्थानों पर फंसे हुए थे.
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#WATCH | J&K: Amarnath Yatra resumes after three-day halt from Ramban as weather improves. pic.twitter.com/UR3lOdn6ed
— ANI (@ANI) July 11, 2023
अधिकारियों ने बताया कि काजीगुंड में फंसे लोगों को भी जम्मू की ओर जाने की अनुमति दी गई. यात्रा स्थगित होने के कारण लगभग आठ हजार तीर्थयात्री जम्मू, खासकर भगवतीनगर आधार शिविर में ही फंसे थे. इसी तरह, रामबन जिले के चंद्रकोट आधार शिविर में लगभग छह हजार तथा कठुआ और सांबा के शिविरों में लगभग दो हजार तीर्थयात्री फंसे हुए थे.
हिमालयी क्षेत्र में स्थित 3,888 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर की 62-दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई को शुरू हुई, जो 31 अगस्त तक चलेगी. जम्मू आधार शिविर से 30 जून तक सात जत्थों में कुल 43,833 तीर्थयात्री गुफा मंदिर के लिए रवाना हो चुके हैं.
31 अगस्त तक चलेगी यात्रा
दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर की 62 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा इस वर्ष की 1 जुलाई को शुरू हुई जो 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा उत्सव के साथ समाप्त होगी. गुफा मंदिर में एक बर्फ की संरचना है जिसके बारे में भक्तों का मानना है कि यह भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है बर्फ के स्टैलेग्माइट की संरचना चंद्रमा की कलाओं के साथ घटती और बढ़ती रहती है.
तीर्थयात्री या तो पारंपरिक दक्षिण कश्मीर के पहलगाम मार्ग से हिमालय गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं, जिसमें पहलगाम बेस कैंप से 43 किमी की चढ़ाई होती है या उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप से 13 किमी की चढ़ाई होती है पारंपरिक पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में 3-4 दिन लगते हैं, जबकि बालटाल मार्ग का उपयोग करने वाले लोग समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित गुफा मंदिर के अंदर 'दर्शन' करने के बाद उसी दिन आधार शिविर में लौट आते हैं. दोनों मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं.