झारखंड में सिपाही भर्ती की शारीरिक परीक्षा के दौरान 12 प्रतिभागियों की जान चली गई. गर्मी-उमस के बीच उम्मीदवारों को 10 किलोमीटर लंबी दौड़ लगानी थी. घटना के संदर्भ में सवाल उठ रहे हैं कि क्या भर्ती के मानक बहुत कठिन हैं?झारखंड के आबकारी (उत्पाद) विभाग में सिपाही के 583 पदों पर नियुक्ति के लिए हो रही शारीरिक दक्षता परीक्षा (फिटनेस टेस्ट) के दौरान 12 अभ्यर्थियों की जान चली गई. करीब 400 दूसरे प्रतिभागी दौड़ के बीच बेहोश होकर गिर पड़े. जिन उम्मीदवारों की मौत हुई, उनमें अधिकतर 25 वर्ष से कम उम्र के युवा थे. प्रारंभिक तौर पर दौड़ के क्रम में सांस फूलने और हार्ट अटैक के कारण मौत की बात सामने आ रही है.
प्रदेश की नियुक्ति नियमावली के अनुसार, शारीरिक परीक्षण के लिए महिलाओं को एक घंटे में पांच किलोमीटर और पुरुषों को 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी होती है. झारखंड संभवत: अकेला ऐसा राज्य है, जहां अभ्यर्थियों के लिए इतनी लंबी दौड़ का नियम है. इस घटना के संदर्भ में नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं.
प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि सभी केंद्रों पर अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए मेडिकल समेत पर्याप्त व्यवस्था की गई थी. हालांकि, झारखंड की घटना इकलौती नहीं है. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल में पुलिस, सेना और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की ऐसी भर्तियों में करीब 30 मौतें हो चुकी हैं.
नियमों में हो सकते हैं बदलाव
बिहार से अलग होकर राज्य बनने के 24 साल बाद झारखंड के उत्पाद विभाग में सिपाहियों की भर्ती की जा रही है. आंकड़ों के अनुसार, 583 भर्तियों के लिए झारखंड स्टाफ सलेक्शन कमीशन (आबकारी कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा) को पांच लाख से अधिक आवेदन मिले. बीते 27 अगस्त से शुरू फिटनेस टेस्ट में सवा लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए हैं.
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. उन्होंने नियमावली की समीक्षा कर बदलाव करने का भी निर्देश दिया. प्रतिभागियों की मौत के कारणों की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही भर्ती केंद्रों पर अभ्यर्थियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने तथा उनके लिए नाश्ते एवं फल का प्रबंध करने को कहा गया है, ताकि कोई प्रतियोगी भूखे पेट दौड़ में हिस्सा ना ले.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना के संदर्भ में कोविड-19 के टीकाकरण पर सवाल उठाते हुए कहा, "कोरोना में टीका लगाया गया, वह गलत था. उसकी सप्लाई केवल भारत में की गई. उसका भी प्रभाव पड़ रहा है. उस टीके की वजह से लोग मर रहे हैं, चलते-फिरते मर रहे हैं, युवा लड़के-लड़कियों की मौत है रही है." हालांकि, उनके संदेह की वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है.
इधर भर्ती प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों के बीच खबर है कि पुलिस विभाग अब कॉन्स्टेबल भर्ती के नियमों में बदलाव कर सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, नए नियमों के तहत उम्मीदवारों को 10 किलोमीटर की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. उन्हें दो विकल्प दिए जाएंगे. पहला, या तो पांच से छह मिनट में 1.6 किलोमीटर की दौड़ पूरी करें, या फिर 25 मिनट में पांच किलोमीटर की दौड़ पूरी करनी होगी. हालांकि, अभी आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की गई है.
तेज गर्मी में दौड़ के लिए लंबा इंतजार
आरोप लग रहे हैं कि युवाओं को सुबह ही बुला लिया गया, लेकिन दौड़ दोपहर में शुरू हुई. अभ्यर्थी कई घंटे तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे. आखिरकार जब दौड़ शुरू हुई, तब मौसम अनुकूल नहीं था. तेज गर्मी और धूप के बीच उन्हें तय समय में लंबी दौड़ पूरी करनी थी. भारत में आबादी के साथ बढ़ रहा है बेरोजगारी का संकट
फिटनेस टेस्ट के दौरान सबसे ज्यादा पांच प्रतिभागियों की मौत पलामू में हुई. पटना के एक अभ्यर्थी विकास कुमार भी फिटनेस टेस्ट के लिए यहां गए थे. अपना अनुभव साझा करते हुए वह बताते हैं, "पलामू में दौड़ के लिए सुबह छह बजे हम लोगों की इंट्री हो गई, लेकिन दौड़ करीब 11ः45 बजे दौड़ शुरू हुई. भीषण गर्मी में इतनी देर तक हम लोग खड़े-खड़े इंतजार करते रहे. वहां का मैदान काफी खराब था. तेज धूप में दौड़ना मुश्किल हो रहा था."
गिरिडीह में फिटनेस टेस्ट देने गए आरा के गौरव राय बताते हैं, "हमारा टेस्ट 28 अगस्त को था. रिपोर्टिंग का वक्त पांच बजे सुबह का था. सभी लोग उसी वक्त कतार में खड़े हो गए, लेकिन दौड़ 11 बजे शुरू हुई. उस वक्त बहुत गर्मी थी. तेज धूप और गर्मी के कारण लोग बेहोश हो रहे थे."
तेज धूप में लंबी दौड़ से शरीर पर पड़ने वाले दबाव को समझाते हुए फिटनेस प्रशिक्षक संतोष कुमार कहते हैं, "दौड़ या किसी भी एक्सरसाइज के लिए मौसम बड़ा महत्वपूर्ण है. अगर मौसम अनुकूल नहीं हो, तो आप मामूली एक्सरसाइज करते वक्त भी बेहोश हो सकते हैं. वहां तो काफी गर्मी थी. फिर आपने प्रैक्टिस किस मैदान पर की है, वह भी मायने रखता है."
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पलामू में अभ्यर्थियों को हवाई अड्डा के मैदान में सीमेंट के ट्रैक पर दौड़ाया गया. जानकार ध्यान दिलाते हैं कि कई उम्मीदवारों ने गांव में मिट्टी की सड़कों या मैदान पर दौड़ने का अभ्यास किया होगा. यह भी आशंका है कि रिपोर्टिंग टाइम सुबह जल्दी होने के कारण कई उम्मीदवार भूखे पेट भी चले गए होंगे.
क्या वाजिब है इतनी लंबी दौड़
झारखंड में सिपाही भर्ती के लिए 2016 में बनी नियुक्ति नियमावली के अनुसार, पुरुष उम्मीदवारों को एक घंटे में 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी है. इससे पहले यहां पांच मिनट में करीब 1.6 किलोमीटर की दौड़ का नियम था. जानकारी के अनुसार, यह दूरी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है.
पड़ोसी राज्य बिहार में सिपाही भर्ती के लिए पुरुषों को छह मिनट में 1.6 किलोमीटर तथा महिलाओं को पांच मिनट में एक किलोमीटर की दौड़ पूरी करनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 14 मिनट में 2.4 किलोमीटर तथा पुरुषों को 25 मिनट में 4.8 किलोमीटर की दौड़ लगानी होती है.
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राजस्थान में ओबीसी, ईडब्लूएस तथा जनरल श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए 25 मिनट में पांच किलोमीटर तथा महिलाओं के लिए 35 मिनट में पांच किलोमीटर की दौड़ का नियम है. अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को इतनी ही दूरी के लिए 35 मिनट का समय दिया जाता है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड के नियमों में इतना अंतर क्यों है.
ब्लड प्रेशर बढ़ने और हार्ट अटैक से गई जान
तीन मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया गया है. दौड़ के दौरान अचानक उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा और हार्ट अटैक हुआ. डॉक्टर प्रकाश कुमार कहते हैं, "ऐसे तो हार्ट अटैक के अलग-अलग कारण हो सकते हैं, लेकिन इन मामलों में ऐसा लग रहा है कि कहीं-ना-कहीं प्रैक्टिस के बिना इतना दौड़ना जानलेवा बना गया."
शारीरिक जांच के दौरान जिन अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ी, उनका इलाज करने वाले कुछ डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कुछ उम्मीदवारों का व्यवहार सामान्य नहीं था. इसकी वजह बेहतर प्रदर्शन के लिए एस्टेरॉयड, एनर्जी ड्रिंक या क्षमतावर्धक इंजेक्शन लेना हो सकता है.
डॉक्टर आर. के रंजन, पलामू के मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अधीक्षक हैं. उनके मुताबिक, अस्पताल लाए गए कई अभ्यर्थियों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी बहुत कम था. कुछ अभ्यर्थी हिंसक व्यवहार भी कर रहे थे. उनके हाव-भाव को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि उन लोगों ने शक्तिवर्धक दवाएं ली हों.