'पहले पैसे दो, फिर पत्नी ले जाओ'...लोन का किश्त नहीं चुकाया तो बीवी को ही उठा ले गए, झांसी में बैंक की दादागिरी
पीड़िता पूजा वर्मा ने बैंक पर लगाया गंभीर आरोप (Photo : X)

Jhansi News: सोचिए, आपने बैंक से लोन लिया हो और किसी वजह से किश्त चुकाने में देर हो जाए. इसके बदले में बैंक वाले आपके परिवार के किसी सदस्य को ही बंधक बना लें तो? सुनने में यह किसी फिल्म की कहानी लगती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi) में ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक प्राइवेट बैंक (Private Bank) पर आरोप है कि उसने लोन की किश्त वसूलने ( Loan Installment) के लिए एक महिला को 5 घंटे तक जबरदस्ती बैंक में बैठाए रखा. जब महिला का पति उसे लेने पहुंचा, तो बैंक वालों ने साफ कह दिया- "पहले पैसे लाओ, फिर अपनी पत्नी को ले जाओ."

क्या है पूरा मामला?

यह मामला झांसी (Jhansi Loan Case) के बम्हरौली गांव के पास एक प्राइवेट माइक्रो फाइनेंस बैंक का है. पूजा वर्मा नाम की एक महिला ने इस बैंक से 40,000 रुपये का लोन लिया था. पूजा का कहना है कि वह अब तक लोन की 11 किश्तें चुका चुकी हैं. लेकिन, बैंक के रिकॉर्ड में सिर्फ 8 किश्तें ही दिखाई दे रही हैं. पूजा और उनके पति का आरोप है कि बैंक के एजेंट ने उनकी 3 किश्तें खा लीं और रिकॉर्ड में चढ़ाया ही नहीं.

सोमवार को बैंक का एक अधिकारी उनके घर पहुंचा और कथित तौर पर धमकाकर पति-पत्नी को अपने साथ बैंक ले आया. वहां, पूजा को बंधक बना लिया गया. उनके पति रविंद्र ने बैंक वालों से बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन उन्होंने एक न सुनी.

पुलिस आई तो छूटी महिला

जब कोई और रास्ता नहीं बचा, तो परेशान पति ने हारकर पुलिस को 112 नंबर पर फोन कर दिया. पुलिस के बैंक पहुंचते ही कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. उनके चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने फौरन पूजा को छोड़ दिया.

बैंक ने दी अपनी सफाई

इस मामले में बैंक मैनेजर का कुछ और ही कहना है. उनका दावा है कि महिला पिछले 7 महीनों से किश्त नहीं दे रही थी, इसलिए उसे सिर्फ बातचीत के लिए बुलाया गया था. मैनेजर के मुताबिक, महिला अपनी मर्जी से बैंक में बैठी थी, उसे किसी ने बंधक नहीं बनाया था.

एक बड़ा सवाल

फिलहाल, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोनों पक्षों से पूछताछ कर रही है. सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा. लेकिन यह घटना एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करती है. क्या लोन वसूलने के लिए बैंक इस तरह की गुंडागर्दी पर उतर सकते हैं?