धारा 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, राष्ट्रपति के आदेश को दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिये जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के अंतर्गत दो संकल्प और दो बिल विचार तथा पारण के लिए शुक्रवार को पेश किए. जो कि तीखी बहस के बाद पास हो गया. यह मौजूदा समय में लोकसभा में पेश किया गया है. जिसपर चर्चा जारी है. इस बीच धारा 370 को हटाने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

धारा 370 पर राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. मिली जानकारी के मुताबिक वकील मनोहर लाल शर्मा ने इसके खिलाफ अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार ने धारा 370 को हटाने के लिए धारा 367 में जो संशोधन किया है, वह असंवैधानिक है. सरकार ने मनमाने और असंवैधानिक ढंग से कार्रवाई की. याचिकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार की इस अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है.

गौरतलब हो कि केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में इस बिल को पेश करते हुए सोमवार को सदन में कहा था कि घाटी के लोगों को भी 21वीं सदी के साथ जीने का अधिकार है. धारा 370 के कारण सरकार द्वारा बनाए गए कानून वहां नहीं पहुंच पाते. उनका कहना था कि मोदी सरकार युवाओं को अच्छा भविष्य देना चाहती है, उनको अच्छी शिक्षा, अच्छा रोजगार देना चाहती है, उनको संपन्न बनाना चाहती है ताकि भारत के दूसरे हिस्सों का जिस प्रकार विकास हुआ है उसी तरह की घाटी का भी विकास हो.

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शाह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है और उस अधिकार के तहत राष्ट्रपति के संविधान आदेश 2019 (जम्मू-कश्मीर के लिये) पर संसद के इस सदन में प्रस्तुतिकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि धारा 370 तो पहले से ही अस्थाई है और अस्थाई व्यवस्था को 70 साल तक खींचा गया.

केंद्र सरकार के इस संशोधन से धारा 370 के सिर्फ खंड एक को छोड़कर अन्य खंड लागू नहीं होंगे. साथ ही जम्मू एवं कश्मीर राज्य न रहकर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा, जिसमें से एक जम्मू एवं कश्मीर और दूसरा लद्दाख होगा. जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.