पुरी (Puri) के विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) की चहारदीवारी के 75 मीटर के दायरे में आने वाले निर्माण कार्य को ढहाने के ओडिशा सरकार (Orrisa Government) के अपने फैसले पर कायम रहने के बाद संतों और मठाधीशों ने देश के प्रधान न्यायाधीश से मामले में हस्क्षेप करने की मांग की है.
तेरह (13) मठाधीशों के हस्ताक्षर वाले एक पत्र में कहा गया है,‘‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप स्थगन आदेश जारी कर इन ऐतिहासिक धरोहरों को ढहाने के इस अनुचित कार्य पर रोक लगाएं और यह सुनिश्चित करें कि इस मामले की गहन सुनवाई हो.’’
संतों ने यह पत्र उच्चतम न्यायालय के न्यायमित्र और सॉलिसिटर जनरल की छह सितंबर की प्रस्तावित यात्रा से दो दिन पहले भेजा है.
पत्र में दावा किया गया है कि ये मठ सदियों पुराने हैं और रामानुजाचार्य, निम्बार्क आचार्य, माधव आचार्य, श्री चंद्रा (उदासीन), दसनामी, रामानंद आचार्य, बिष्णु स्वामी और गुरु नानक जैसे महान संतों ने इन मठों की स्थापना की है. इनका भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही महत्व है.
पत्र में कहा गया है कि इस तरह की ऐतिहासिक संरचनाओं की रक्षा करने और इन्हें मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में बढ़ावा देने के बजाय, राज्य सरकार मठों को नष्ट कर रही है.
इससे पहले पुरी के जिलाधिकारी बलवंत सिंह ने निर्माण कार्यों को ढहाने की मुहिम को बंद करने के स्थानीय प्रतिनिधियों के प्रस्ताव को बुधवार को खारिज कर दिया.
सिंह ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा,‘‘इसे विध्वंसक गतिविधि कहना गलत होगा. प्रशासन असुरक्षित ढांचों को हटाता रहा है और श्री जगन्नाथ मंदिर को बचाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है. मंदिर की चारदीवारी के 75 मीटर के दायरे से निर्माणकार्य हटाने की मुहिम जारी रहेगी.’’
उन्होंने कहा कि मठ की मुख्य गद्दी जहां देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं, उससे कोई छेडछाड नहीं की जाएगी लेकिन मठ परिसर के भीतर स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठानों सहित अन्य सभी ढांचों को हटाया जाएगा.’’
जिला प्रशासन ने उन आरोपों को भी खारिज किया कि प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. जिलाधिकारी ने कहा कि वह प्रभावित लोगों से इस पर चर्चा करेंगे.
जिलाधिकारी के साथ बैठक करने वाले दल में शामिल दामोदर प्रधानी ने कहा,‘‘जिलाधिकारी ने निर्माण कार्यों को ढहाने को रोकने के हमारे प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. हम मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाएगें.’’
गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने मंदिर के 75 मीटर के दायरे में स्थित 300 साल पुराने नानगुली मठ और 900 साल पुराने इमार मठ को ढहा दिया था जिसके बाद लोगों में असंतोष है. प्रशासन की पांच और मठों को ढहाने की योजना है.
हालांकि जिला प्रशासन को संतों और वहां रहने वाले लोगों के कड़े विरोध के चलते बड़ा अखाड़ा मठ को ढहाने का काम मंगलवार को रोकना पड़ा.
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता बिजय महापात्रा ने भुवनेश्वर में संवाददाता सम्मेलन में पुरी में प्राचीन मठों को ढहाए जाने के राज्य सरकार के फैसले की निंदा की है.