SC on Fake Rape FIR: 'यह प्रेम प्रसंग था, जबरदस्ती नहीं': शादी का झांसा देकर शोषण का आरोप, FIR के 16 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा लगाए गए रेप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक प्रेम संबंध था, जबरदस्ती का मामला नहीं.
SC on Fake Rape Allegation: सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा लगाए गए रेप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक प्रेम संबंध था, जबरदस्ती का मामला नहीं. barandbench.com की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने 2006 में आरोपी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, लेकिन कोर्ट ने कहा कि 16 साल तक रिश्ते में रहने के बाद इस तरह का दावा अविश्वसनीय लगता है. महिला ने आरोप लगाया था कि 2006 में आरोपी ने उसके साथ उसके ही घर में दुष्कर्म किया और शादी का वादा किया. बाद में 2009 में आरोपी ने उसे नशा देकर उनके निजी पलों का वीडियो बना लिया और फिर उसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूले. महिला ने यह भी कहा कि आरोपी ने उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता शिक्षित और समझदार महिला थी. यह स्वीकार करना मुश्किल है कि एक बाहरी व्यक्ति ने उसके घर में, जहां उसके माता-पिता भी रहते थे, जबरदस्ती संबंध बनाया.
2006 से 2022 तक दोनों में था रिश्ता
कोर्ट ने कहा कि 2006 से 2022 तक महिला लगातार आरोपी के साथ रिश्ते में थी, उसके साथ कई बार यात्रा की, और खुद को उसकी पत्नी भी बताया. ऐसे में यह मानना मुश्किल है कि आरोपी ने उसे धोखा देने के इरादे से संबंध बनाए थे. इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि अगर दोनों के बीच तीन साल तक सहमति से संबंध थे, तो फिर 2009 में आरोपी को महिला का नशा देकर संबंध बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
कोर्ट ने आगे कहा कि महिला ने FIR तब दर्ज कराई जब उसे पता चला कि आरोपी किसी और से शादी कर रहा है. इस मामले में रेप का कोई आधार नहीं दिखता, बल्कि यह एक प्रेम संबंध था जो बाद में बिगड़ गया.
आंख मूंदकर दोषी नहीं ठहरा सकते: SC
कोर्ट ने कहा, "ऐसे मामलों में हम आंख मूंदकर आरोपी को दोषी नहीं ठहरा सकते। यह प्रेम संबंध का मामला था, न कि धोखे से बनाए गए शारीरिक संबंधों का."
सुप्रीम कोर्ट ने FIR को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि यह मामला झूठे आरोपों से भरा हुआ है.