पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने अपने रिश्तेदारों से मिलने कराची गए एक भारतीय मुस्लिम विधुर को सेक्स वर्कर (Sex Worker) का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल किया, ताकि वह उनके लिए काम करे. सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए कुख्यात आईएसआई ने कराची की एक सेक्स वर्कर का इस्तेमाल उप्र के गोरखपुर निवासी 51 वर्षीय मोहम्मद आरिफ (Mohammed Arif) को ब्लैकमेल करने के लिए किया. तथ्य उप्र के आतंक-रोधी दस्ते (एटीएस) और मिल्रिटी इंटेलीजेंस (एमआई) द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए 'ऑपरेशन गोरखधंधा' के तहत सामने आए हैं. इसका मकसद कराची स्थित आईएसआई यूनिट द्वारा भारत में की जा रही जासूसों की भर्ती का पता लगाना था.
एटीएस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डी.के. ठाकुर ने पुष्टि की है कि आरिफ को नजरबंद किया गया था. अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि जून में एमआई यूनिट को गोरखपुर स्थित मोबाइल नंबर पर संदिग्ध गतिविधि को लेकर जम्मू और कश्मीर से एक गुप्त सूचना मिली थी। तब लखनऊ एमआई यूनिट ने कार्रवाई शुरू की और भारत-नेपाल सीमा के पास पूर्वी उप्र के शहर गोरखपुर में संदिग्ध पर नजर रखी. एमआई ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन गोरखधंधा' नाम दिया है.
इनपुट की इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पुष्टि होने के बाद संदिग्ध की पहचान मोहम्मद आरिफ के रूप में की गई, जिसके पाकिस्तान के साथ संदिग्ध संबंध थे. इसके बाद एमआई यूनिट ने जुलाई के पहले सप्ताह में यूपी एटीएस के साथ सारे निष्कर्ष साझा किए और मामले की जांच के लिए एक संयुक्त टीम का गठन किया गया.
पर्याप्त सबूत इकट्ठा होने के बाद यूपी एटीएस की टीम ने शुक्रवार को संदिग्ध मोहम्मद आरिफ से लखनऊ में एटीसी मुख्यालय में पूछताछ की. सूत्रों ने कहा कि पूछताछ के दौरान संदिग्ध ने पाकिस्तान में आईएसआई द्वारा भर्ती किए जाने का पूरा विवरण साझा किया.
पूछताछ में पता चला कि गोरखपुर में चाय-नाश्ते की दुकान चलाने वाले आरिफ की पत्नी की 2014 में मौत हो गई थी। पाकिस्तान के कराची में उसके कई रिश्तेदार हैं। उसकी बहन जरीना की शादी भी कराची निवासी शाहिद से हुई है. आरिफ चार बार- 2014, 2016, 2017 और दिसंबर, 2018 में पाकिस्तान गया था। आखिरी यात्रा के दौरान कराची में उसकी बहन के घर दो पाकिस्तानी आईएसआई अधिकारी फहद और राणा वीजा अधिकारी बनकर आए। बाद में उनका आना-जाना बढ़ गया और वे दोस्त की तरह आरिफ को कराची शहर के आसपास मॉल, समुद्री तट, रेस्तरां में घुमाने लगे और उसके साथ लंच-डिनर करने लगे.
आरिफ के भारत लौटने से 10 दिन पहले, फहद और राणा अकील उसे एक सुरक्षित घर में ले गए और वहां उसे एक युवा और सुंदर सेक्स वर्कर की सेवाएं ऑफर कीं. विधुर इस प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका और उसने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। बाद में पता चला कि उस रात सेक्स वर्कर के साथ उसकी हरकतों को कई कैमरों में कैद किया जा रहा है.
आरिफ के भारत आते वक्त फहद और राणा ने उसे अपने '+92' वाले मोबाइल नंबर की एक चिट दी। गोरखपुर आने के बाद आरिफ को उसी नंबर से व्हाट्सएप पर कॉल आया। फोन करने वाले फहद ने आरिफ से कुशलक्षेम पूछी और अपना नंबर सेव करने के लिए कहा. कुछ दिनों के बाद फहद ने फिर फोन किया और उससे गोरखपुर के जाफरा बाजार की तस्वीरें भेजने को कहा। इसके बाद फहद ने उसे गोरखपुर वायुसेना स्टेशन की तस्वीरें भेजने के लिए कहा, जिसके लिए आरिफ ने इनकार कर दिया.
तब आईएसआई एजेंट ने उसे सेक्स वर्कर के साथ के वीडियो-फोटो भेजे और उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उससे कहा गया कि यदि वह उनका काम नहीं करेगा तो वे ये सब उसकी बहन जरीना तक पहुंचा देंगे। इसके बाद आरिफ ने ओटीपी साझा कर उन्हें भारतीय व्हाट्सएप अकाउंट बनाने में मदद की। इसके लिए उसने अपने नाम पर सिम भी ली, जिसे उसने हटा दिया.
सूत्रों ने बताया कि फिर आईएसआई ने भारतीय सुरक्षाकर्मियों तक पहुंचने और उनसे रक्षा संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए इस व्हाट्सएप अकाउंट का इस्तेमाल किया. इसी नंबर से कई सेवा दे रहे सुरक्षा कर्मियों को सदस्य बनाकर व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए.
आरिफ ने पूछताछकर्ताओं को बताया कि उसने गोरखपुर रेलवे स्टेशन और भारतीय वायुसेना स्टेशन के मुख्यद्वार और कुंद्रा घाट मिल्रिटी स्टेशन की तस्वीरें कराची में अपने हैंडलर को भेजी थीं। उसे इन फोटो के लिए 5,000 रुपये भी मिले.आरिफ ने यह भी खुलासा किया है कि उसे दो आईएसआई एजेंटों ने भारतीय सैनिकों या ऐसे किसी भी व्यक्ति से परिचित कराने के लिए भी कहा गया जो भारत में सैन्य प्रतिष्ठान तक पहुंच रखते हों.
उनकी मांगों को पूरा करने में असमर्थ, आरिफ उनसे बचने लगा और उसने इंटरनेट का उपयोग करना बंद कर दिया। इस बीच उन्होंने शमा परवीन से शादी कर ली और अपनी दूसरी पत्नी के साथ परेशानी-मुक्त जीवन जीने की ख्वाहिश रखी। 14 जुलाई को उसने अपना फोन भी फॉर्मेट कर लिया।
आरिफ के मोबाइल डिवाइस, सिम कार्ड और अन्य सामानों की जांच के दौरान ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके. लिहाजा, जांचकर्ताओं ने केवल उसके बयानों के आधार पर मामला दर्ज करने का फैसला किया है.
आरिफ की उम्र, आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए और यह देखते हुए कि उसे अपने गलत काम का अहसास है और उसने आईएसआई एजेंटों की ज्यादा मदद नहीं की है, जांचकर्ताओं ने उसे सलाह और चेतावनी देने के बाद घर जाने दिया. एक अधिकारी ने कहा, "इस मामले ने गरीब या निम्न-मध्य वर्ग के उन भारतीय मुस्लिम परिवारों के सदस्यों के खिलाफ आईएसआई के नापाक मंसूबों का खुलासा किया है, जो पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं.